तुर्की अब भारत के दुश्मन पाकिस्तान के साथ मिलकर पांचवी पीढ़ी के फाइटर जेट कान को विकसित करने का फैसला किया है। तुर्की के राष्ट्रीय लड़ाकू जेट कार्यक्रम में जल्द ही पाकिस्तान और अजरबैजान को शामिल किए जाने की संभावना है।
कहा जा रहा है कि इसी महीने इस पर चर्चा होगी। सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए ये देश अनुकूल परिणाम पर विचार कर रहे हैं। एक ऑनलाइन रिपोर्ट के अनुसार, तुर्की के राष्ट्रीय रक्षा उप मंत्री डॉ. सेलाल सामी तुफेकेसी ने इस विकास की पुष्टि की है। पाकिस्तान को शामिल करने पर शीघ्र ही बातचीत होने की उम्मीद है। वहीं इस गठबंधन में अक्सर पाकिस्तान के समर्थन में कश्मीर पर भारत के खिलाफ जहर उगलने वाले अजरबैजान को भी इसमें शामिल किया गया है।
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डिफेंस इनसाइडर ने उनके हवाले से कहा कि इस महीने में हम अपने राष्ट्रीय लड़ाकू जेट कार्यक्रम कान में पाकिस्तान को आधिकारिक तौर पर शामिल करने के लिए अपने पाकिस्तानी समकक्षों के साथ चर्चा करेंगे। इसके साथ ही पाकिस्तान 5वीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट के उत्पादन में तुर्की के साथ शामिल हो जाएगा। तुर्की एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (TAI) के प्रमुख के अनुसार, तुर्किये का घरेलू स्तर पर विकसित 5वीं पीढ़ी का फाइटर जेट 'कान' दिसंबर में उड़ानें शुरू करेगा। टीएआई के महाप्रबंधक टेमेल कोटिल ने एक टेलीविजन कार्यक्रम में बताया कि उन्होंने योजना से पांच साल पहले, तुर्की के आसमान में केएएएन की पहली उपस्थिति के लिए 27 दिसंबर को चुना।
ताई टीएफ कान
टीएआई कान बहुप्रतीक्षित स्टील्थ, ट्विन-इंजन, हर मौसम में वायु श्रेष्ठता वाला लड़ाकू विमान है। विमान, एफ-16 फाइटिंग फाल्कन का प्रतिस्थापन, तुर्की एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज द्वारा विकसित किया जा रहा है। 1 मई, 2023 को TAI कान को आधिकारिक तौर पर 'कान' नाम दिया गया। नवीनतम रिपोर्टों के अनुसार, नियोजित समय सीमा से पांच साल पहले विमान इस साल दिसंबर में उड़ान शुरू कर देगा। यह पहला विमान माना जाता है जिसमें डिज़ाइन और उत्पादन के लिए डिजिटल ट्विन तकनीक शामिल है। कान को दूसरे देशों में भी निर्यात किया जाएगा। दिसंबर 2012 में तुर्की की रक्षा शाखा द्वारा ऐसे अत्याधुनिक विमान के डिजाइन, विकास और निर्माण का निर्णय लिया गया। तब से, यह बहुप्रतीक्षित विमान दुनिया भर में रक्षा प्रेमियों के बीच चर्चा का विषय बन गया है।
भारत के लिए क्यों टेंशन की बात
तुर्की और पाकिस्तान के बीच इस भागीदारी से भारत की चिंता बढ़ सकती है। भारत के पास वर्तमान दौर में एक भी फिफ्थ जेनरेशन का लड़ाकू विमान नहीं है। भारत के अभी भविष्य में इसके खरीदने की संभावना भी नहीं है। भारत अपने खुद के विमान पर काम कर रहा है। लेकिन ये विकास के चरण में है।
तुर्की और पाकिस्तान के बीच इस भागीदारी से भारत की टेंशन बढ़ सकती है। भारत के पास एक भी पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान नहीं है। भारत के अभी भविष्य में इसके खरीदने की संभावना भी नहीं दिख रही है। भारत अपने खुद के विमान पर काम कर रहा है लेकिन अभी यह विकास के चरण में है।
तुर्की अब भारत के दुश्मन पाकिस्तान के साथ मिलकर पांचवी पीढ़ी के फाइटर जेट कान को विकसित करने का फैसला किया है। तुर्की के राष्ट्रीय लड़ाकू जेट कार्यक्रम में जल्द ही पाकिस्तान और अजरबैजान को शामिल किए जाने की संभावना है।
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डिफेंस इनसाइडर ने उनके हवाले से कहा कि इस महीने में हम अपने राष्ट्रीय लड़ाकू जेट कार्यक्रम कान में पाकिस्तान को आधिकारिक तौर पर शामिल करने के लिए अपने पाकिस्तानी समकक्षों के साथ चर्चा करेंगे। इसके साथ ही पाकिस्तान 5वीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट के उत्पादन में तुर्की के साथ शामिल हो जाएगा। तुर्की एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (TAI) के प्रमुख के अनुसार, तुर्किये का घरेलू स्तर पर विकसित 5वीं पीढ़ी का फाइटर जेट 'कान' दिसंबर में उड़ानें शुरू करेगा। टीएआई के महाप्रबंधक टेमेल कोटिल ने एक टेलीविजन कार्यक्रम में बताया कि उन्होंने योजना से पांच साल पहले, तुर्की के आसमान में केएएएन की पहली उपस्थिति के लिए 27 दिसंबर को चुना।
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टीएआई कान बहुप्रतीक्षित स्टील्थ, ट्विन-इंजन, हर मौसम में वायु श्रेष्ठता वाला लड़ाकू विमान है। विमान, एफ-16 फाइटिंग फाल्कन का प्रतिस्थापन, तुर्की एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज द्वारा विकसित किया जा रहा है। 1 मई, 2023 को TAI कान को आधिकारिक तौर पर 'कान' नाम दिया गया। नवीनतम रिपोर्टों के अनुसार, नियोजित समय सीमा से पांच साल पहले विमान इस साल दिसंबर में उड़ान शुरू कर देगा। यह पहला विमान माना जाता है जिसमें डिज़ाइन और उत्पादन के लिए डिजिटल ट्विन तकनीक शामिल है। कान को दूसरे देशों में भी निर्यात किया जाएगा। दिसंबर 2012 में तुर्की की रक्षा शाखा द्वारा ऐसे अत्याधुनिक विमान के डिजाइन, विकास और निर्माण का निर्णय लिया गया। तब से, यह बहुप्रतीक्षित विमान दुनिया भर में रक्षा प्रेमियों के बीच चर्चा का विषय बन गया है।
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तुर्की और पाकिस्तान के बीच इस भागीदारी से भारत की टेंशन बढ़ सकती है। भारत के पास एक भी पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान नहीं है। भारत के अभी भविष्य में इसके खरीदने की संभावना भी नहीं दिख रही है। भारत अपने खुद के विमान पर काम कर रहा है लेकिन अभी यह विकास के चरण में है।
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