होम लोन से लेकर अन्य कर्ज की ईएमआई में राहत की उम्मीद लगाए बैठे लोगों का इंतजार लंबा हो सकता है। आठ अगस्त से शुरू हो रही भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा समिति की बैठक में प्रमुख ब्याज दर (रेपो रेट) में कटौती के आसार नजर नहीं आ रहे हैं।‘मिंट’ के एक सर्वे में प्रमुख अर्थशास्त्रित्त्यों का कहना है कि बढ़ती महंगाई और अन्य कारकों को देखते हुए ब्याज दरों में कटौती अगले वित्त की पहली तिमाही में ही संभव दिख रही है।
सर्वे में 10 इकोनॉमिस्ट ने अपनी राय रखी है। इनका कहना है कि आरबीआई पर बढ़ती महंगाई का दबाव रहेगा। इसके चलते चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान बढ़ा सकता है। इसे देखते हुए आरबीआई ब्याज दरों में नरमी का रुख दिखाने से परहेज करेगा और यह स्थिति अगली दो बैठकों में भी देखने को मिल सकती है। सर्वे में शामिल डीबीएस बैंक की वरिष्ठ इकोनॉमिस्ट राधिका राव ने कहा कि न केवल रेपो दर में कटौती की उम्मीदें कम हो रही हैं, बल्कि आरबीआई की अगली दो बैठकों में बीपीएस में अंक 25 की बढ़ोतरी की संभावना है। वहीं, बैंक ऑफ बड़ौदा के इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस ने कहा कि मुद्रास्फीति इस समय पांच प्रतिशत से कम चल रही है, लेकिन आने वाले महीनों में महंगाई बढ़ने के साथ इसमें बढ़ोतरी का जोखिम होगा। इसका असर रेपो दर पर देखने को मिल सकता है।
घोषणा 10 को: मौद्रिक नीति समिति की बैठक 8 से 10 अगस्त को होगी। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास नीतिगत निर्णय की घोषणा 10 अगस्त को करेंगे। आरबीआई ने ब्याज दर में बढ़ोतरी का सिलसिला पिछले साल मई में शुरू किया था। हालांकि फरवरी के बाद से रेपो दर 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित है।
होम लोन से लेकर अन्य कर्ज की ईएमआई में राहत की उम्मीद लगाए बैठे लोगों का इंतजार लंबा हो सकता है। आठ अगस्त से शुरू हो रही भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा समिति की बैठक में प्रमुख ब्याज दर (रेपो रेट) में कटौती के आसार नजर नहीं आ रहे हैं।‘मिंट’ के एक सर्वे में प्रमुख अर्थशास्त्रित्त्यों का कहना है कि बढ़ती महंगाई और अन्य कारकों को देखते हुए ब्याज दरों में कटौती अगले वित्त की पहली तिमाही में ही संभव दिख रही है।
सर्वे में 10 इकोनॉमिस्ट ने अपनी राय रखी है। इनका कहना है कि आरबीआई पर बढ़ती महंगाई का दबाव रहेगा। इसके चलते चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान बढ़ा सकता है। इसे देखते हुए आरबीआई ब्याज दरों में नरमी का रुख दिखाने से परहेज करेगा और यह स्थिति अगली दो बैठकों में भी देखने को मिल सकती है। सर्वे में शामिल डीबीएस बैंक की वरिष्ठ इकोनॉमिस्ट राधिका राव ने कहा कि न केवल रेपो दर में कटौती की उम्मीदें कम हो रही हैं, बल्कि आरबीआई की अगली दो बैठकों में बीपीएस में अंक 25 की बढ़ोतरी की संभावना है। वहीं, बैंक ऑफ बड़ौदा के इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस ने कहा कि मुद्रास्फीति इस समय पांच प्रतिशत से कम चल रही है, लेकिन आने वाले महीनों में महंगाई बढ़ने के साथ इसमें बढ़ोतरी का जोखिम होगा। इसका असर रेपो दर पर देखने को मिल सकता है।
घोषणा 10 को: मौद्रिक नीति समिति की बैठक 8 से 10 अगस्त को होगी। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास नीतिगत निर्णय की घोषणा 10 अगस्त को करेंगे। आरबीआई ने ब्याज दर में बढ़ोतरी का सिलसिला पिछले साल मई में शुरू किया था। हालांकि फरवरी के बाद से रेपो दर 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित है।
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