भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान-3 के रोवर प्रज्ञान को लेकर मंगलवार को नया अपडेट जारी किया। इसमें बताया गया कि रोवर जल्द ही चांद के नए रहस्यों को उजागर करने वाला है।
चंद्रयान-3 के आधिकारिक एक्स हैंडल से पोस्ट किया गया, 'नमस्कार पृथ्वीवासियो! यह #Chandrayaan3 का प्रज्ञान रोवर है। मैं आशा करता हूं कि आप लोग बहुत अच्छे होंगे। आप सभी को यह बताना चाहता हूं कि मैं चंद्रमा के रहस्यों को उजागर करने के रास्ते पर हूं। मैं और मेरा दोस्त विक्रम लैंडर एक-दूसरे के संपर्क में हैं। हम ठीक ढंग से काम कर रहे हैं। हमारा बेस्ट जल्द ही आने वाला है।'
इससे पहले सोमवार को इसरो ने बताया था कि चंद्रयान-3 मिशन के तहत भेजा गया रोवर प्रज्ञान चंद्रमा की सतह पर 4 मीटर व्यास के गड्ढे के करीब पहुंच गया, जिसके बाद उसे पीछे जाने का निर्देश दिया गया। ISRO ने सोशल मीडिया पर पोस्ट में कहा कि यह अब सुरक्षित रूप से नए रूट पर आगे बढ़ रहा है। अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि 27 अगस्त को रोवर 4 मीटर व्यास के गड्ढे के नजदीक पहुंच गया, जो इसकी स्थिति से 3 मीटर आगे था। इसे देखते हुए रोवर को पीछे जाने का निर्देश दिया गया।
चांद पर तापमान भिन्नता का ग्राफ जारी
इसरो ने चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर के साथ लगे चेस्ट उपकरण की ओर से चंद्र सतह पर मापी गई तापमान भिन्नता का ग्राफ रविवार को जारी किया था। अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, चंद्र सरफेस थर्मो फिजिकल एक्सपेरिमेंट (चेस्ट) ने चंद्रमा की सतह के तापीय व्यवहार को समझने के लिए दक्षिणी ध्रुव के आसपास चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी का 'तापमान प्रालेख' मापा। चंद्रमा की सतह के तापीय व्यवहार को समझने के लिए 'चेस्ट' ने ध्रुव के चारों ओर चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी के तापमान प्रलेख को मापा। पेलोड में तापमान को मापने का एक यंत्र लगा हुआ है जो सतह के नीचे 10 सेंटीमीटर की गहराई तक पहुंचने में सक्षम है।
सूर्य के अध्ययन के लिए लॉन्च होगा आदित्य-L1
गौरतलब है कि चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद ISRO सूर्य का अध्ययन करने के लिए भारत के पहले सौर मिशन 'आदित्य-एल1' का 2 सितंबर को लॉन्च करेगा। दोपहर 11 बजकर 50 मिनट पर श्रीहरिकोटा स्पेसपोर्ट से प्रक्षेपण किया जाएगा। आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान को सौर कोरोना (सूर्य की सबसे बाहरी परत) के दूरस्थ अवलोकन और एल1 (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंज बिंदु) पर सौर वायु के यथास्थान अवलोकन के लिए तैयार किया गया है। एल1 पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। 'लैग्रेंज बिंदु' अंतरिक्ष में स्थित वे स्थान हैं, जहां सूर्य और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल आकर्षण और प्रतिकर्षण के उन्नत क्षेत्र उत्पन्न करते हैं।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान-3 के रोवर प्रज्ञान को लेकर मंगलवार को नया अपडेट जारी किया। इसमें बताया गया कि रोवर जल्द ही चांद के नए रहस्यों को उजागर करने वाला है।
इससे पहले सोमवार को इसरो ने बताया था कि चंद्रयान-3 मिशन के तहत भेजा गया रोवर प्रज्ञान चंद्रमा की सतह पर 4 मीटर व्यास के गड्ढे के करीब पहुंच गया, जिसके बाद उसे पीछे जाने का निर्देश दिया गया। ISRO ने सोशल मीडिया पर पोस्ट में कहा कि यह अब सुरक्षित रूप से नए रूट पर आगे बढ़ रहा है। अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि 27 अगस्त को रोवर 4 मीटर व्यास के गड्ढे के नजदीक पहुंच गया, जो इसकी स्थिति से 3 मीटर आगे था। इसे देखते हुए रोवर को पीछे जाने का निर्देश दिया गया।
चांद पर तापमान भिन्नता का ग्राफ जारी
इसरो ने चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर के साथ लगे चेस्ट उपकरण की ओर से चंद्र सतह पर मापी गई तापमान भिन्नता का ग्राफ रविवार को जारी किया था। अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, चंद्र सरफेस थर्मो फिजिकल एक्सपेरिमेंट (चेस्ट) ने चंद्रमा की सतह के तापीय व्यवहार को समझने के लिए दक्षिणी ध्रुव के आसपास चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी का 'तापमान प्रालेख' मापा। चंद्रमा की सतह के तापीय व्यवहार को समझने के लिए 'चेस्ट' ने ध्रुव के चारों ओर चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी के तापमान प्रलेख को मापा। पेलोड में तापमान को मापने का एक यंत्र लगा हुआ है जो सतह के नीचे 10 सेंटीमीटर की गहराई तक पहुंचने में सक्षम है।
सूर्य के अध्ययन के लिए लॉन्च होगा आदित्य-L1
गौरतलब है कि चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद ISRO सूर्य का अध्ययन करने के लिए भारत के पहले सौर मिशन 'आदित्य-एल1' का 2 सितंबर को लॉन्च करेगा। दोपहर 11 बजकर 50 मिनट पर श्रीहरिकोटा स्पेसपोर्ट से प्रक्षेपण किया जाएगा। आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान को सौर कोरोना (सूर्य की सबसे बाहरी परत) के दूरस्थ अवलोकन और एल1 (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंज बिंदु) पर सौर वायु के यथास्थान अवलोकन के लिए तैयार किया गया है। एल1 पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। 'लैग्रेंज बिंदु' अंतरिक्ष में स्थित वे स्थान हैं, जहां सूर्य और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल आकर्षण और प्रतिकर्षण के उन्नत क्षेत्र उत्पन्न करते हैं।
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