मध्य प्रदेश के सतना में धर्म के नाम पर स्कूल में बच्ची को एडमिशन नहीं देने का मामला सामने आया है. महिला ने आरोप लगाया है कि हिंदू होने के कारण उसकी बेटी को एडमिशन नहीं दिया गया. हालांकि, स्कूल के प्रिंसिपल ने इन आरोपों को खारिज किया है.
वहीं, इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी ने जांच के आदेश दिए है.
दरअसल, मामला सतना जिले के 88 साल पुराने मोहम्मदिया एहसानिया हायर सेकेंडरी स्कूल का है. सोनू गुप्ता नाम की महिला ने बताया कि वो अपनी बेटी का इस स्कूल में पहली कक्षा में एडमिशन करवाना चाहती है. इस कारण वो पिछले चार महीने से स्कूल के चक्कर काट रही थी. 14 अगस्त को स्कूल प्रबंधन ने बेटी को एडमिशन देने से इनकार कर दिया.
महिला ने कहा है कि स्कूल वाले हिंदू-मुसलमान कर रहे थे. महिला ने कहा कि स्कूल प्रबंधन का कहना है कि यहां हिंदुओं के बच्चे नहीं पढ़ते, सिर्फ मुसलमानों के बच्चे पढ़ते हैं. जबकि, स्कूल में हिंदू बच्चे भी पढ़ते हैं. मगर, ऐसा कहकर मेरी बेटी को एडमिशन देने से मना कर दिया. महिला की शिकायत पर जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) नीरव दीक्षित ने शास्त्रीचौक स्थित मोहम्मद एहसानिया हायर सेकंडरी स्कूल प्रबंधन के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं.
महिला द्वारा लगाए गए आरोप गलत- हेडमास्टर
महिला के आरोपों पर स्कूल के हेडमास्टर एजाज अहमद खुर्रम ने कहा कि आरोप पूरी तरह निराधार है. महिला एक मुस्लिम युवक के साथ स्कूल आई थी. मुस्लिम युवक उन पर दबाव बना रहा था कि उन्होंने इस बच्ची को गोद लिया है. बच्ची के नाम के साथ उसका नाम लिखा जाए. इसके बाद मैंने उन्हें ये कहते हुए मना किया कि आप पहले डॉक्यूमेंट लाइए.
हेडमास्टर एजाज अहमद खुर्रम ने कहा कि डॉक्यूमेंट के नाम पर वह लोग केवल बच्ची का जन्म प्रमाणपत्र दे रहे थे. मैंने उनसे कहा कि बच्ची की पूरी आईडी जरूरी है. साथ ही बच्ची के माता-पिता के बैंक एकाउंट की जानकारी भी जरूरी है. इस पर युवक दबाव बना रहा था कि उन्होंने बच्ची को गोद लिया है. मैंने उनसे गोद लेने संबंधित कागजात मांगे तो उन्होंने कहा कि कागज बाद में तैयार हो जाएंगे. इस वजह से मैंने उनकी बच्ची का एडमिशन नहीं किया. हमारे स्कूल में हमेशा से हिंदू-मुस्लिम समाज के बच्चे पढ़ते रहे हैं. हमारे यहां कभी भी भेदभाव नहीं किया गया है.
जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी- जिला शिक्षा अधिकारी
इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी नीरव दीक्षित ने कहा कि बच्ची के प्रवेश के संबंध में शिकायत है कि उसे स्कूल में प्रवेश नहीं दिया गया है. डीपीसी को जांच सौंप दी गई है. डीपीसी जांच करेंगे कि प्रवेश आरटीई के अंतर्गत है कि सामान्य है. प्रतिवेदन आने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.
1935 में हुई स्कूल की स्थापना
बता दें, स्कूल की स्थापना 1935 में हुई थी. 1987 से कांग्रेस के पूर्व मंत्री सईद अहमद स्कूल के चेयरमैन हैं. जबकि इससे पहले उनके पिता बैरिस्टर गुलेशर अहमद स्कूल के चेयरमैन रहे चुके दें. गुलेशर अहमद कांग्रेस के कद्दावर नेता थे और हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल भी रहे चुके हैं. इस स्कूल में 115 मुस्लिम समाज के बच्चे पढ़ते हैं जबकि महज 15 हिंदुओं के बच्चे पढ़ रहे हैं.
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