Mumbai Train Firing Inside Story: सोमवार की सुबह जयपुर से मुंबई जा रही ट्रेन में फायरिंग करके अपने साथी सहित चार यात्रियों की जान लेने वाले आरोपी आरपीएफ सिपाही चेतन का पैतृक गांव मीतई यूपी के हाथरस में है।
चेतन के पिता बच्चू सिंह करीब तीस साल पहले अपने पैतृक गांव मीतई से जमीन बेचकर रतलाम जाकर बस गए थे। जहां आरोपी सिपाही का जन्म हुआ और वहीं पढ़ाई पूरी हुई। वर्ष 2007 में एसआई के पद पर तैनात बच्चू सिंह की ड्यूटी के दौरान ही जिला मऊ में हार्टअटैक पड़ने से मौत हो गई थी। इसके बाद उनका परिवार रतलाम में मकान को बेचकर मथुरा आ गया। परिवार में पिता की मौत के बाद चेतन चौधरी बड़ा पुत्र था। चेतन के 18 वर्ष के होने पर वर्ष 2009 में मृतक आश्रित कोटे में पिता की जगह आरपीएफ में सिपाही के पद पर नौकरी मिल गई।
वारदात की जानकारी जैसे ही गांव में परिवार के लोगों को समाचारों के जरिए लगी तो वे सकते में आ गए। आरोपी सिपाही का आना-जाना गांव में ज्यादा नहीं हीं था। करीब डेढ़ साल पहले कुछ घंटों के लिए आरोपी अपने ताऊ आदि से मिलने आया था। सिपाही चेतन चौधरी पुत्र स्व. बच्चू सिंह का पैतृक गांव हाथरस के कोतवाली चंदपा क्षेत्र का मीतई है। वारदात की जानकारी जैसे ही आरोपी सिपाही चेतन चौधरी के ताऊ भगवान सिंह, चाचा दिनेश आदि को हुई तो उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ है कि चेतन ऐसी घटना को अंजाम देगा।
गांव में आज दिनभर इसी घटना की चर्चा होने लगी। पूरा गांव सिपाही की करतूत से हैरत में है। आरोपी के ताऊ भगवान सिंह कृषि विभाग से रिटायर्ड हैं। उन्होंने बताया कि करीब डेढ़ साल पहले चेतन गांव में कुछ घंटों के लिए घूमने आया था। फोन पर अक्सर ड्यूटी के दौरान टार्चर किए जाने की बात करता था। ताऊ का कहना है कि कई बार उसे समझाया कि नौकरी में यह सब चलता है।
चाचा के बेटे की शादी में नहीं पहुंचा
दिसंबर माह में आरोपी सिपाही चेतन सिंह के चाचा दिनेश के पुत्र कृष्णा की गांव में शादी थी। शादी में शामिल होने को सिपाही के लिए भी न्योता दिया गया था। फोन करके भी दिनेश ने अपने भतीजे को जरूर आने की बात कही। आरोपी सिपाही न्योते के बाद भी अपने चचेरे भाई कृष्णा की शादी में गांव मीतई नहीं पहुंचा। जबकि शादी वाले दिन चाचा दिनेश और उनका परिवार चेतन के आने का इंतजार करता रहा।
तीस साल पहले रतलाम फिर मथुरा में बसा परिवार
अपने साथी सहित चार लोगों की जान लेने वाले आरपीएफ के आरोपी सिपाही चेतन के पिता बच्चू सिंह करीब तीस साल पहले अपने पैतृक गांव मीतई से जमीन बेचकर रतलाम जाकर बस गए थे। जहां आरोपी सिपाही का जन्म हुआ और वहीं पढ़ाई पूरी हुई।
बच्चू सिंह की नौकरी आरपीएफ में लगने के बाद वह अपने परिवार के साथ रतलाम जाकर बस गए। अपने हिस्से की करीब ढाई बीघा जमीन भी वो बेचकर चले गए थे। रतलाम में ही आरोपी सिपाही चेतन चौधरी का जन्म हुआ और वहीं शिक्षा प्राप्त की। वर्ष 2007 में एसआई के पद पर तैनात बच्चू सिंह की ड्यूटी के दौरान ही जिला मऊ में हार्टअटैक पड़ने से मौत हो गई थी। इसके बाद उनका परिवार रतलाम में मकान को बेचकर मथुरा आ गया। परिवार में पिता की मौत के बाद चेतन चौधरी बड़ा पुत्र था।
चेतन के 18 वर्ष के होने पर वर्ष 2009 में मृतक आश्रित कोटे में पिता की जगह आरपीएफ में सिपाही के पद पर नौकरी मिल गई। बच्चू सिंह की पत्नी राजेन्द्री देवी ग्रहणी है। परिवार की सहमति पर वर्ष 2009 में 18 साल पूरे हो जाने के बाद चेतन को सिपाही के पद पर नौकरी मिल गई। परिवार में छोटा भाई लोकेश डाइवरी का काम करता है। जबकि सबसे बड़ी बहन की शादी आगरा से हुई है।
गांव में खाली पड़ा है प्लाट
परिवार में छह भाइयों को उनके पिता ने बराबर बराबर जमीन मकान बनाने के लिए दी। परिवार के चार भाइयों ने गांव में अपने अपने मकान बना लिये। जबकि बच्चू सिंह का करीब सत्तर गज का प्लाट खाली पड़ा हुआ है। गांव में काफी सालों से प्लाट खाली पड़ा हुआ है, लेकिन चेतन ने मकान नहीं बनाया।
विभाग के टार्चर से परेशान था सिपाही
आरपीएफ सिपाही के द्वारा ट्रेन में अपने साथी और तीन यात्रियों की गोली मारकर हत्या कर दिए जाने से सब सकते में है। परिजनों का आरोप है कि विभाग के टार्चर से सिपाही परेशान चल रहा था।
सिपाही चेतन चौधरी अपनी पत्नी रेनू और पुत्र सारांश व पुत्री काव्या के साथ किराए के मकान में रहता है। वारदात को अंजाम दिए जाने के बाद सब सकते में है। पैतृक गांव और मथुरा में सिपाही की करतूत से लोग सकते है। आरोपी सिपाही के ताऊ भगवान सिंह की माने तो लगातार जगह जगह तबादला चेतन का कर दिए जाने से वो परेशान रहता था। आरपीएफ के अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उन्होंने उठाया है। कई बार ताऊ ने समझाया भी गया,मुम्बई तबादला हो जाने के बाद तनाव अधिक बढ़ गया। उसका साथी से कोई विवाद चल रहा था।
पत्नी से नहीं था कोई भी विवादआरोपी सिपाही चेतन चौधरी के ताऊ भगवान सिंह ने बातचीत के दौरान बताया कि वो परिवार के साथ मथुरा में किराए के मकान में रहता है। पूरा परिवार हसी खुशी से रह रहा था। पत्नी रेनू से भी कोई विवाद नहीं था। पत्नी रेनू का मायका आगरा में है। नौकरी लगने के बाद करीब दस साल पूर्व चेतन की शादी रेनू के साथ हुई थी।
सरकारी सेवा में रहे ताऊ और तीन चाचा
ट्रेन में अपने साथी और तीन यात्रियों को गोलियों से भूनने वाले आरोपी सिपाही का पूरा परिवार पढ़ा लिखा व शिक्षित है। परिवार में ताऊ सहित दो चाचा सरकारी सेवा देकर सेवानिवृत हो चुके है। चार लोगों की हत्या किए जाने के बाद पूरे परिवार पर आरोपी सिपाही ने कलंक लगा दिया। गांव मीतई में सिपाही की करतूत को लेकर तरह तरह की चर्चाएं लोगों की जुबान पर रही।
परिवार में आरोपी सिपाही चेतन चौधरी के ताऊ भगवान सिंह कृषि महकमे से रिटायर्ड है। वो अपने परिवार सहित गांव में ही रहते है। जबकि सिपाही के सबसे बड़े चाचा महेन्द्र पाल वर्ष 2016 में सेना से सूबेदार के पद से रिटायर्ड हुए। जोकि अपने परिवार सहित मथुरा के हाईवे के निकट बसे गोकुल बैराज में रहते है। जबकि चाचा दिनेश सिंह रेलवे में नौकरी करते थे। मुकेश बाबू दो साल पूर्व सेना में नायब सूबेदार के पद से रिटायर्ड हो चुके है। आरोपी सिपाही के सबसे छोटे चाचा दलपत सिंह प्राइवेट नौकरी करते है। दिनेश, मुकेश और दलपत सिंह तीनों अपने अपने परिवार के साथ गांव मीतई में ही रहते है।
गांव में पूरे परिवार को लोग काफी सम्मान सहित देखते है,लेकिन सोमवार को सिपाही के द्वारा अपने साथी और तीन यात्रियों की गोली मारकर हत्या कर दिए जाने की जानकारी गांव में लगते ही लोग सकते में आ गए। सिपाही की इस करतूत से पूरे परिवार पर कलंक का दाग लग गया। लोग आरोपी सिपाही को कोसते हुए नजर आए। तो वहीं परिवार के लोगों में भी सिपाही की करतूत से गुस्सा दिखा।
पुलिस ने भी गांव में जाकर की पड़ताल
सिपाही द्वारा अपने साथी सहित तीन यात्रियों की गोली मारकर हत्या कर दिए जाने की जानकारी होने पर थाना पुलिस ने गांव जाकर पड़ताल की।
एक टिप्पणी भेजें