चांद पर सबसे पहले कदम रखने वाले नील आर्मस्ट्रॉन्ग की मौत 25 अगस्त 2012 को हुई थी. 82 साल की उम्र में उनकी बायपास सर्जरी हुई थी. लेकिन उनकी मौत अमेरिका के ओहियो के सिनसिनाटी अस्पताल में उनका दिल के ऑपरेशन के बाद इलाज चल रहा था और उनकी मौत के इस ऑपरेशन के दो सप्ताह बाद ही हुई थी.
अस्पताल पर लापरवाही का आरोप
दरअसल जिस अस्पताल में नील आर्मस्ट्रॉन्ग की मौत हुई थी, उनकी बायपास सर्जरी के बाद वे दो हफ्ते तक जिंदा थे. उनकी मौत के बाद उनके दो बेटों ने सिनसिनाटी के मर्सीहेल्थ- फेयरफील्ड हॉस्पिटल पर सर्जरी के बाद के बाद गलत तरीके से देखभाल करने का आरोप लगाया था और इसके लिए कानूनी कार्रवाई भी की थी. बताया गया कि इस लापरवाही के कारण ही नील आर्मस्ट्रॉन्ग की मौत हुई थी और अस्पताल के एक विशेषज्ञ ने उपचार में गंभीर समस्या का होना पाया था.
बदनामी से बचने के लिए?
अस्पताल ने भी अपना बचाव किया था, लेकिन न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले के खुलने से अस्पताल की बदनामी ना हो इसके लिए परिवार को 60 लाख डॉलर की रकम चुका कर मामला गुप्त रूप से "सेटल" किया था. अस्पताल की ओर से शर्त भी रखी गई थी कि मामले की शिकायत और "सेटलमेंट" को गोपनीय रखा जाएगा. लेकिन क्या केवल बदनामी के डर से ही अस्पताल इतनी बड़ी रकम चुकाने को तैयार हो गया या फिर मामले वास्तव में गंभीर था. यह एक बड़ा सवाल था और इसका जवाब उस पड़ताल में मिलता है जो आर्मस्ट्रॉन्ग की मौत के बाद की गई थी.
ठीक हो रही थी नील की सेहत और फिर
जब आर्मस्ट्रॉन्ग की बायपास सर्जरी हुई थी तब उनकी पत्नी ने मीडिया को बताया था कि "वे बहुत अच्छे से अपनी सेहत में सुधार कर रहे हैं और बरामदे में चल भी रहे हैं." लेकिन जब नर्सों ने अस्थाई पेसमेकर के लिए उनके तार निकाले तो दिल के पास की एक मेंबरेन से खून बहने लगा और उसके बाद एक के बाद समस्याएं बढ़ती गईं जिससे अंततः 25 अगस्त को उनकी मौत हो गई.
बायपास सर्जरी के बाद शुरुआत में नील आर्मस्ट्रॉन्ग की सेहत में सुधार भी हो रहा था. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)
समझौते की संभावना?
नील आर्मस्ट्रॉन्ग की बहू वेंडी आर आर्मस्ट्रॉन्ग ने लिखा है कि जब चंद्रमा की लैंडिंग की 45 वर्षगांठ पर नील के पुत्र मार्क (वेंडी के पति) और रिक फ्लोरीडा जाने वाले थे, तब कई प्रकाशकों और फिल्ममेकर आदि ने उनसे सम्पर्क करने का प्रयास किया और नील आर्मस्ट्रॉन्ग के जीवन के ऐसे पहलुओं को जानने का प्रयास कर रहे थे जो आम जनता नहीं जानती थी. ऐसे में दोनों भाइयों को सुझाया गया था कि जब तक नील की मौत मामले को जल्दी ही नहीं सुलझाया गया तो अस्पताल की बहुत ज्यादा बदनामी हो जाएगी क्योंकि अस्पताल अमेरिका के एक प्रतिष्ठित अस्पतालों में से एक है.
आशंकाएं भी थी मामले में
चिकित्सकीय विवाद और गोपनीय समझौता नील आर्मस्ट्रॉन्ग के चांद पर कदम रखने की 50वीं वर्षगांठ (2019) के पहले कभी सामने नहीं आया था. न्यूयॉर्क टाइम्स को एक अज्ञात मेल में मामले से संबंधित 93 पेजों के दस्तावेज मिले थे जिसमें दोनों ओर के चिकित्सकीय विशेषज्ञों की मेडिकल रिपोर्ट शामिल थी. लेकिन इस मामले में नील आर्मस्ट्रॉन्ग के पोतों की वकील मामली के लीक होने की आशंका के साथ ही उनके क्लाइंट द्वारा मुआवजे की रकम गंवाने की आशंका भी जताई थी.
नील आर्मस्ट्रॉन्ग की मौत को लेकर अस्पताल की लापरवाही के मामले में अस्पताल के वकील गुप्त रूप से समझौता करना चाहते थे. (तस्वीर: NASA)
सेटलमेंट के लिए पूछा गया था सवाल?
8 जुलाई 2014 में अस्पताल की वकील नैन्सी ए लॉसन ने वेंडी आर्मस्ट्रॉन्ग को लिख कर साफ पूछा था कि क्या मार्क और रिक कैनेडी स्पेस सेंटर में मामले पर चर्चा करना चाहेंगे यादि 18 जुलाई तक कोई सेटलमेंट नहीं होता है. इसके जवाब में वेंडी ने लिखा था कि अगर नील आर्मस्ट्रॉन्ग के अस्पताल की इलाज की जानकारी किसी फिल्म या किताब के प्रोजेक्ट को दे दी गई उससे उन्हें बहुत फायदा मिल सकता है. वेंडी का मूल मांग 70 लाख डॉलर थी. वहीं हैमिल्टन काउंटी के कोर्ट रिकॉर्ड बताते हैं कि 52 लाख डॉलर नील आर्मस्ट्रॉन्ग के बेटों मार्क व रिक में, नील के भाई भाई डीन और जून हॉफमैन, हर एक को 250 हजार डॉलर, और उनके छह पोतेपीतियों में से हर एक को 24 हजार डॉलर मिले थे.
केवल सेटलमेंट से खत्म नहीं हुई थी बात
गौर करने वाली बात है कि नील आर्मस्ट्रॉन्ग की दूसरी पत्नी कैरोल ने इस मामले में भागीदारी नहीं की थी. उन्होंने साफ कहा था कि वे इसका हिस्सा नहीं थी. लेकिन जब उनसे सेटलमेंट में एस्टेट की एक्जीक्यूटर की भूमिका के तौर पर हस्ताक्षर करने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उनके पास कोई विकल्प नहीं था. समजौते के अन्य सवालों पर उन्होंने गोपनीयता का हवाला देकर जवाब नहीं दिया था. वहीं रिक और मार्क के 2018 में बनी फिल्म के लिए सलाहकार की भूमिका निभाने के सवाल पर कोई आधिकारिक जवाब नहीं मिला. लेकिन अस्पताल के प्रवक्ता ने इस मामले में जनता में विस्तृत जानकारी पहुंचने पर निराशा जताई.
इस बात पर बहुत बहस हो रही है कि क्या नील आर्मस्ट्रॉन्ग की मौत के लिए अस्पताल कितना जिम्मेदार था. (तस्वीर: NASA)
गोपनीयता और सच्चाई
लेकिन कई लोगों का मानना है, जिनमें कुछ उस घटनाक्रम के जानकार भी शामिल हैं, कि मामला संवेदनशील तो है, लेकिन फिर भी सच्चाई लोगों तक पहुंचनी चाहिए जिससे भविष्य में ऐसे हादसे रोके जा सकें. वहीं तीन विशेषज्ञ जिन्होंने नील आर्मस्ट्रॉन्ग के चिकित्सकीय रिकॉर्ड की समीक्षा की थी, उन्होंने बताया था कि अस्पताल में उनके भर्ती होने के बाद क्या हुआ था. उन्हें इसी अस्पताल मे क्यों भरती किया गया इसका कारण नहीं बताया गया है. जाचों के बाद उनकी बायपास सर्जरी का फैसला किया गया.
अस्थाई तौर पर उनके दिल में कुछ तार लगाए गए, लेकिन बाद में जब नर्स ने उन्हें निकाला तो उनका ब्लड प्रैशर कम हो गया और आंतरिक तौर पर खून बहने लगा, उन्हें तुरंत कैथेटराइजेशन लैब में ले जाया गया. वहां पता चला कि खून तेजी से बह रहा है. इसके बाद उन्हें ऑपरेशन थिएटर में ले जाया गया . वहां क्या किया गया इसकी जानकारी नहीं है, पर नील वहां एक हफ्ते या उससे अधिक समय तक रहे और 25 अगस्त को उनकी मौत हो गई. औपचारिक तौर पर मौत का कारण "हृदवाहिका प्रक्रियाओं में जटिलताओं" को बताया गया. इस पूरी प्रक्रिया पर अलग अलग विशेषज्ञों की अपनी राय है कि कई डॉक्टरों का कहना है कि नील आर्मस्ट्रॉन्ग को कैथलैब की जगह सीधे ऑपरेशन थिएटर में ही ले जाना था तो कुछ इससे सहमत नहीं है.
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