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रविवार, 13 अगस्त 2023

अगर आपके पास नहीं है रिलायंस का शेयर तो कैसे मिलेगा जियो का स्टॉक, ये है प्रोसेस

अगर आपके पास नहीं है रिलायंस का शेयर तो कैसे मिलेगा जियो का स्टॉक, ये है प्रोसेस

रिलायंस इंडस्ट्रीज से जियो फाइनेंशियल का डीमर्जर हो चुका है. कंपनी डीमर्जर के साथ ही कंपनी ने उन 36 लाख शेयर होल्डर को जियो फाइनेंशियल के फ्री में दिए थे, जिनके पास रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर थे.

वो शेयर दो दिन पहले शेयर होल्डर्स के अकाउंट में भी पहुंच चुके है. इसका मतलब है जिन शेयर होल्डर्स के पास रिलायंस के 100 शेयर हैं, उनके पास जिया फाइनेंशियल के 100 शेयर फ्री में पहुंच चुके हैं. अब सबसे बड़ा सवाल इंवेस्टर्स के मन में उभरकर आया है, जिनके पास रिलायंस इंडस्ट्रीज का शेयर नहीं है, लेकिन वो जियो फाइनेंशियल के शेयर को खरीदना चाहते हैं. ऐसे निवेशकों के पास कौन तरीका है जिससे वो जियो फाइनेंशियल का शेयर हासिल कर सकते हैं.

इस जवाब है आईपीओ. जी हां, जियो फाइनेंशियल के आईपीओ के थ्रू ही निवेश किया जा सकता है और कंपनी का शेयर हासिल किया जा सकता है. तो आइए आपको भी बता देते हैं कि आखिर आईपीओ का पूरा प्रोसेस है क्या और इसके माध्यम से निवेश कैसे कंपनी का शेयर हासिल कर सकते हैं. जो पहले आईपीओ थ्रू निवेश कर शेयर की खरीद कर चुके हैं उन्हें पूरे प्रोसेस की जानकारी होगी ही, लेकिन जो पहली बार जियो फाइनेंशियल कंपनी और रिलायंस इंडस्ट्रीज और मुकेश अंबानी को देखकर निवेश करने का मन बना रहे हैं तो उन्हें इस पूरे प्रोसेस को समझना काफी जरूरी है.

पहला सवाल: आखिर आईपीओ होता क्या है?

आईपीओ यानी इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग वह प्रोसेस है जिसके माध्यम से एक पब्लिक कंपनी बन जाती है और अपने शेयर बेचकर लोगों से पैसा जुटाती है. जब कोई कंपनी आईपीओ में आती है तो वह अधिक जवाबदेह और रेगुलराइज्ड हो जाती है. इसके अलावा, यह कंपनी की ग्रोथ और डेवलपमेंट में मदद करती है. आईपीओ प्रोसेस कंपनी द्वारा एक अंडरराइटर और स्टॉक एक्सचेंजों का चयन करने के साथ शुरू होता है, जिस पर कंपनी के शेयरों को पब्लिकली डिस्ट्रीब्यूट किया जाता है.

मार्केट दो प्रकार के होते हैं प्राइमरी मार्केट और सेकंडरी मार्केट. आईपीओ में शेयर प्राइमरी मार्केट में लिस्टिड होते हैं, जबकि एनएसई और बीएसई के माध्यम से कारोबार सेकंडरी मार्केट में होता है. एक बार आईपीओ लॉन्च होने के बाद, प्राइमरी मार्केट में शुरू में जारी किए गए शेयरों को सेकंडरी मार्केट में ट्रांसफर कर दिया जाता है और सामान्य सिक्योरिटीज की तरह कारोबार किया जाता है.

दूसरा सवाल : भारत में आईपीओ का आखिर प्रोसेस है क्या?

  1. कंपनियों को सबसे पहले सेबी से रजिस्ट्रेशन कराना होता है, क्योंकि आईपीओ जारी करने का पूरा प्रबंधन सेबी की ओर से ही किया जाता है.
  2. कंपनियों को उसके बाद सेबी के पास डॉक्युमेंट्स सब्मिट कराने होते हैं. सेबी डॉक्युमेंट्स की जांच करती है और संतुष्ट होने पर उसे मंजूरी देती है.
  3. जब तक कंपनी को सेबी से अप्रूवल नहीं मिलता है, तब तक कंपनी अपने आईपीओ से जुड़ा हुआ प्रॉस्पेक्टस तैयार कर लेती है.
  4. सेबी से कंपनी को हरी झंडी मिलने के बाद उन शेयरों की संख्या का खुलासा करती है, जिन्हें वो जारी करने की प्लानिंग बना रही है. साथ ही शेयर की कीमत भी निर्धारित करनी चाहिए.
  5. आईपीओ इश्यू दो प्रकार के होते हैं- फिक्स्ड प्राइस आईपीओ और बुक बिल्डिंग आईपीओ. कंपनी को दोनों में से एक को चुनना होता है. फिक्स्ड प्राइस आईपीओ वह आईपीओ है जहां जारी किये जाने वाले शेयरों की कीमत पहले से तय होती है. जैसे जियो फाइनेंशियल के संबंध में है, जिसकी प्री लिस्टिंग प्राइस 261.85 रुपये है. बुक बिल्डिंग आईपीओ वह आईपीओ है जहां कंपनी कीमतों की एक सीरीज होती है और बोली कीमतों की उस लिमिट के अंदर होती है.
  6. एक बार जब कंपनी आईपीओ टाइप को अंतिम रूप दे देती है, तो शेयर पब्लिक कर दिए जाते हैं. जो लोग आवेदन करने के इच्छुक हैं वे अपना आवेदन कर सकते हैं. कंपनी जनता से सब्सक्रिप्शन प्राप्त होने पर आवंटन करेगी.
  7. आवंटन के बाद कंपनी शेयरों को शेयर बाजार में लिस्ट करती है. एक बार प्राइमरी मार्केट में में जारी होने के बाद, शेयर सेकंडरी मार्केट में लिस्ट हो जाते हैं और नियमित रूप से ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध होते हैं.

तीसरा सवाल : आईपीओ ऑनलाइन या ऑफलाइन कैसे खरीदा जा सकता है?

  1. आईपीओ के लिए आवेदन करने के लिए, फिजिकल फॉर्म ब्रोकर या बैंक ब्रांच से प्राप्त किया जा सकता है, या यह आपके डीमैट अकाउंट के माध्यम से ऑनलाइन किया जा सकता है.
  2. आप जिस लॉट के लिए आवेदन करना चाहते हैं, 
  3. उससे संबंधित सभी डिटेल, बैंक अकाउंट डिटेल, डीमैट अकाउंट, कुल इंवेस्टमेंट अमाउंट आदि के साथ फॉर्म भरें.ऑफर की क्लोजिंग डेट से 10 दिनों के भीतर आपको शेयर अलॉट कर दिए जाएंगे.
  4. यह भी संभव है कि ओवर-सब्सक्रिप्शन की स्थिति में आपको प्रपोशनेट बेसिस पर शेयर अलॉट किए जाएं.

चौथा सवाल : आईपीओ में निवेश करने के लिए कोई विशेष पात्रता है?

18 वर्ष से ऊपर का कोई भी व्यक्ति जो कानूनी रूप से कांट्रैक्ट में प्रवेश कर सकता है, आईपीओ के माध्यम से शेयर खरीद सकता है. एकमात्र आवश्यकता इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा जारी एक पैन और डीमैट अकाउंट होना जरूरी है. आईपीओ के लिए आवेदन करने के लिए ट्रेडिंग अकाउंट जरूरी नहीं है.

 हालांकि, यदि आप लिस्टिंग पर शेयर बेचना चाहते हैं तो एक ट्रेडिंग अकाउंट की भी आवश्यकता होती है. आईपीओ के लिए आवेदन कोई ऑफर नहीं बल्कि ऑफर के लिए के लिए इंवीटेशन है. जब कंपनी आपको शेयर की अनुमति देती है तभी यह एक ऑफर बनता है.

पांचवां सवाल : क्या जियो फाइनेंशियल के लिए कोई फिक्स्ड प्राइस है?

रिलायंस इंडस्ट्रीज और जियो फाइनेंशियल का डीमर्जर की रिकॉर्ड डेट 20 जुलाई थी. उसी दिन शेयर बाजार में रिलायंस इंडस्ट्रीज के लिए एक घंटे की स्पेशल ट्रेडिंग रखी गर्द थी. उसी से जियो फाइनेंशियल के शेयरों का प्राइस तय हुआ था. बीएसई से मिले आंकड़ों के अनुसार कंपनी का शेयर 261.85 रुपये तय हुआ था.

 रिलायंस की यह फाइनेंस आर्म जेएफएसएल को पहले ही निफ्टी 50, बीएसई सेंसेक्स और दूसरे इंडेक्सेस में शामिल किया जा चुका है. जब तक स्टॉक स्वतंत्र रूप से लिस्टिड नहीं हो जाता, तब तक यह स्टेबल प्राइस पर रहेगा और लिस्टिंग के T+3 दिन बाद स्टॉक सभी इंडेक्सेस से हटा दिया जाएगा.

छठा सवाल : कब आ सकता है जियो फाइनेंशियल आईपीओ?

28 अगस्त रिलायंस इंडस्ट्रीज का एजीएम है. एजीएम में, अंबानी से न केवल जेएफएसएल की लिस्टिंग डेट की घोषणा की उम्मीद है, बल्कि इस कंपनी के भविष्य की योजनाओं का रोडमैप भी पेश किया जाएगा. पिछले साल की एजीएम में, 

अंबानी ने पांच साल में आरआईएल की मार्केट कैप दोगुनी करने और नेक्स्ट जेन के लीडर्स के कारोबार संभालने की बात कही थी. विश्लेषकों का कहना है कि आरआईएल ऐसे फेज से गुजर रहा है जहां मॉनेटाइजेशन और इंवेस्टमेंट साइकिल 2027 तक एक साथ चलेंगे.

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