नई दिल्ली. सुस्ती से जूझ रहे यूएस को एक और तगड़ा झका लगा है. रेटिंग एजेंसी फिच ने इसकी रेटिंग को AAA से घटाकर AA+ कर दिया है. 2011 के बाद 12 साल में पहली बार ऐसा हुआ है जब यूएस की रेटिंग घटाई गई है.
देश की कमजोर होती आर्थिक स्थिति और बढ़ते कर्ज के कारण इसकी रेटिंग में गिरावट आई है. इससे पहले एसएंडपी ग्लोबल ने देश की रेटिंग घटाई थी. फिच का कहना है कि पिछले 2 दशक में देश कई बार कमजोर गवर्नेंस के चलते आर्थिक संकट से घिरा है.
फिच का कहना है कि देश ने अगर भी जरूरी कदम नहीं उठाए तो यह रेटिंग और नीचे जा सकती है. रेटिंग एजेंसी का कहना है कि देश के मैक्रोइकोनॉमिक पॉलिसी और खर्च से जुड़े मुद्दों को लेकर आ रही कठिनाइयों को जल्द सुलझाना होगा. इसके अलावा सितंबर में फेडरल रिजर्व एक बार फिर ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर सकता है. अगर ऐसा होता है तो यूएस की रेटिंग पर और दबाव बढ़ सकता है. हालांकि, एक दूसरी रेटिंग और इन्वेस्टमेंट कंपनी मूडीज ने अब भी यूएस को अपनी सर्वोच्च AAA रेटिंग दी हुई है.
वित्तीय सेहत के गिरने का संकेत
फिच ने कहा है कि रेटिंग में कटौती अगले 3 साल में यूएस की आर्थिक हालत और बिगड़ने का संकेत है. एजेंसी का कहना है कि देश ने नए खर्च बढ़ा दिए हैं और टैक्स में कटौती कर दी है, इसकी वजह से बजट घाटा बढ़ गया है. वहीं, यूएस के ट्रेजरी सचिव जैनेट येलेन ने इस रेटिंग पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इसे मनमाना बताया है. उनका कहना है कि यह रेटिंग 2018 से 2022 के पुराने डेटा के आधार पर दी गई है. उन्होंने कहा कि अमेरिका अर्थव्यवस्था बेहद मजबूत है. पूर्व ट्रेजरी सचिव लैरी समर्स ने कहा है कि बेशक यूएस लॉन्ग टर्म की वित्तीय चुनौतियों से जूझ रहा है लेकिन रेटिंग घटाने का फैसला उचित नहीं ठहराया जा सकता.
भारतीय बाजार भी सहमा
अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए बजी इस खतरे की घंटी का असर भारतीय शेयर बाजार पर देखने को मिल रहा है. खबर लिखे जाने तक सेंसेक्स 1.03 फीसदी या 685 अंक टूटकर 65773 पर ट्रेड कर रहा है. वहीं, 50 शेयरों वाला निफ्टी 1.04 फीसदी या 205 अंक टूटकर 19527 पर ट्रेड कर रहा है. सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि एशिया के दूसरे बाजारों में भी इसका प्रतिकूल असर देखने को मिल रहा है. साउथ कोरिया का कोस्पी, जापान का निक्केई और हॉन्ग कॉन्ग का हांग सेंग लगभग 2 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुए हैं.
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