गुजरात के मूल निवासी प्रधान मंत्री श्री नरेंद्रभाई मोदी का सपना है कि हर वनवासी परिवार खुश, शिक्षित, स्वस्थ और आर्थिक रूप से सशक्त हो। उनके सपने को पूरा करने के लिए गुजरात की श्री भूपेन्द्र भाई पटेल की डबल इंजन सरकार दिन-रात एक कर रही है। राज्य सरकार ने गुजरात और विशेषकर सुदूर आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा के क्षितिज को विकसित करके एक ऐसा वातावरण तैयार किया है
जिससे आदिवासी समुदाय के बच्चों को शिक्षित करके गुजरात दुनिया भर में प्रसिद्ध हो गया है। आज, जब 'विश्व आदिवासी दिवस' दरवाजे पर दस्तक दे रहा है, आइए हम सभी को शिक्षा की उस रोशनी से अवगत कराएं जो राज्य के अंतिम छोर पर स्थित डांग जिले के अंदरूनी इलाकों तक फैली है, जहां 98 प्रतिशत आदिवासी आबादी है।
स्कूल की स्थापना वर्ष 2002-03 में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री और देश के वर्तमान प्रधान मंत्री श्री नरेंद्रभाई मोदी द्वारा विशेष रूप से राज्य के आदिवासी क्षेत्रों में साक्षरता दर बढ़ाने के महान उद्देश्य के साथ की गई थी। प्रदेश के बच्चों की शिक्षा एवं उनके उज्जवल भविष्य को केन्द्र में रखते हुए उनके अभिभावकों की सहभागिता से बच्चों की शिक्षा के महत्व के प्रति जागरूकता पैदा करते हुए प्रवेशोत्सव का शुभारम्भ किया गया।
जिसका फल आज अंदरूनी इलाकों में भी दिख रहा है। राज्य में हर बच्चे के लिए प्राथमिक शिक्षा तक पहुंच सुनिश्चित करते हुए बच्चों के स्कूल छोड़ने के अनुपात को कम करने के उद्देश्य से शुरू किया गया स्कूल प्रवेश उत्सव कार्यक्रम आज डांग के सुबीर तालुका के करंजड़ा प्राइमरी स्कूल में शानदार सफलता रहा है।
करंजड़ा गांव में कक्षा 1 से 5 तक का प्राइमरी स्कूल है। यह क्षेत्र आर्थिक रूप से पिछड़ा था और लोग रोजी रोटी के लिए पलायन करते थे, इसलिए बच्चों की शिक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। लेकिन राज्य सरकार के शाला प्रवेश उत्सव कार्यक्रम और सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन से आई जागरूकता के कारण आज गांव की ड्रॉप आउट दर 0% तक पहुंच गई है। पिछले 10 वर्षों से गुणोत्सव कार्यक्रम में करंजड़ा प्राथमिक विद्यालय लगातार जिला स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त कर रहा है।
पिछले साल राज्य स्तर पर 14वीं रैंक भी मिली थी। स्कूल के इस बदलाव के लिए गांव के माता-पिता के साथ-साथ स्कूल के शिक्षक भी जिम्मेदार हैं, ऐसा स्कूल के प्रिंसिपल श्री जिग्नेशभाई पटेल ने कहा। वह आगे बताते हैं कि सरकारी मध्याह्न भोजन योजना, मुफ्त पोशाक योजना, मौसमी छात्रावास सुविधाओं के कारण स्कूली बच्चे स्कूल आना पसंद करते हैं। जिससे बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।
फिलहाल स्कूल में 91 बच्चे पढ़ रहे हैं। साथ ही आसपास के गांव से करीब 30 से 35 बच्चे इस स्कूल में पढ़ने आते हैं. बच्चों को किताबी ज्ञान के साथ-साथ बाहरी ज्ञान प्राप्त करने के लिए शिक्षकों द्वारा यात्रा कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते हैं।जिसमें गांव का दौरा,गांव के कारीगरों का दौरा, समुद्री क्षेत्र की यात्रा आदि की योजना बनाई जाती है। करंजड़ा प्राइमरी स्कूल के एसएमसी समिति सदस्य श्री राजेशभाई कुँवर कहते हैं कि वे स्कूल के विकास के लिए शिक्षकों के साथ बैठकें/चर्चा करते हैं और समस्याओं का उचित समाधान करते हैं।
लवचाली क्लस्टर के सीआरसी श्री अनितेशभाई पवार का कहना है कि करंजड़ा प्राइमरी स्कूल में शिक्षकों की मेहनत से गांव के बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल रही है। इस गांव के अधिकांश लोग रोजी रोटी के लिए पलायन करते हैं, इसलिए यहां एक मौसमी छात्रावास शुरू किया गया, जिससे स्कूल छोड़ने की दर 0% तक कम हो गई है। करंजड़ा प्राइमरी स्कूल में शैक्षिक, ढांचागत सुविधाओं के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर विशेष जोर दिया गया है। जिसके कारण इस विद्यालय के बच्चे शिक्षा के साथ-साथ अन्य गतिविधियों में भी अव्वल रहते हैं। गुजरात सरकार के खेल महाकुंभ में भी बच्चों ने स्कूल का नाम रोशन किया है। विद्यालय में कुल 4 शिक्षक कार्यरत हैं। जिनके द्वारा बच्चों को प्रार्थना, खेलकूद, प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेने सहित विभिन्न गतिविधियां करायी जा रही हैं।
वर्ष 2020-21 में डांग जिले के स्कूल अनुपात 2.0 के परिणाम में प्राथमिक स्कूलों में 1 स्कूल A+ ग्रेड में, 11 स्कूल A ग्रेड में, 235 स्कूल B ग्रेड में, 134 स्कूल C ग्रेड में और 1 स्कूल D ग्रेड में था। वर्ष 2022-23 में प्राथमिक विद्यालयों को ए+ ग्रेड में 1, ए ग्रेड में 20, बी ग्रेड में 323, सी ग्रेड में 34 और डी ग्रेड में 0 विद्यालय रहे हैं। जो दो वर्षों की तुलना में डांग जिले के स्कूलों में गुणात्मक सुधार का संकेत देता है। गुजरात सरकार स्कूल प्रवेश उत्सव जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से शिक्षक प्रशिक्षण को भी प्राथमिकता देती है, और शिक्षा की समग्र गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए एक मजबूत निगरानी प्रणाली भी लागू करती है।
शाला प्रवेश उत्सव के फलस्वरूप प्रदेश के अंतिम छोर पर स्थित डांग जिले के ग्रामीण क्षेत्रों की प्राथमिक शालाओं में विद्यार्थियों का शत-प्रतिशत नामांकन देखा जा रहा है। डांग जिले में कुल 378 प्राथमिक विद्यालय हैं। इन स्कूलों में कुल 1600 शिक्षक 42,500 बच्चों को पढ़ा रहे हैं।
डांग जिला प्राथमिक शिक्षा अधिकारी श्री नरेंद्रभाई ठाकरे के अनुसार, पिछले 20 वर्षों में शाला प्रवेश उत्सव और बालिका शिक्षा उत्सव के कारण जिले में शिक्षा की स्थिति बदल गई है। सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से ड्रॉपआउट अनुपात घटकर 0% हो गया है। साथ ही स्कूलों में शत-प्रतिशत नामांकन हो और स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति भी शत-प्रतिशत हो।
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