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शनिवार, 19 अगस्त 2023

भारत का ऐसा रेलवे स्टेशन, जहां से पैदल ही जा सकते हैं विदेश, एक भी पैसा नहीं होगा खर्च

 ई दिल्ली. देश में ऐसे कई रेलवे स्टेशन हैं, जो अपनी कई खासियतों के लिए जाने जाते हैं. कोई रेलवे स्टेशन अपने सबसे बड़े प्लेटफॉर्म के लिए मशहूर है, तो कई स्टेशन ऐसे हैं, जो अपनी स्वच्छता के लिए दुनियाभर में फेमस है.

लेकिन क्या आप जानते हैं भारतीय रेल का आखिरी रेलवे स्टेशन कौन सा है. वैसे तो इसके बारे में कोई आधिकारिक ऐलान तो कभी नहीं हुआ है लेकिन कुछ ऐसे स्टेशन हैं जो देश के एकदम आखिरी छोर पर मौजूद हैं. जहां से आप बेहद आसानी से विदेश यात्रा कर सकते हैं.

सोच रहे होंगे आखिर ऐसा कौन सा रेलवे स्टेशन हैं, जहां से पैदल भी दूसरे देश तक पहुंचा जा सकता है. बता दें कि बिहार में एक ऐसा रेलवे स्टेशन है, जो नेपाल देश से काफी नजदीक पड़ता है. मतलब यहां से उतरकर आप पैदल भी फॉरेन का ट्रिप कर सकते हैं. ऐसा ही एक रेलवे स्टेशन पश्चिम बंगाल में भी स्थित है.

आखिर कौन से देश पहुंच सकते हैं पैदल

ये रेलवे स्टेशन बिहार के अररिया जिले में स्थित है. अररिया जिले में स्थित इस रेलवे स्टेशन का नाम जोगबनी स्टेशन है, जिसे देश के आखिरी स्टेशन के रूप में देखा जाता है. बता दें, यहां से नेपाल की दूरी नाम मात्र की रह जाती है, ये देश यहां से इतना पास पड़ता है कि लोग पैदल भी पहुंच सकते हैं. अच्छी बात तो ये है, नेपाल जाने के लिए भारत के लोगों को वीजा या पासपोर्ट की भी जरूरत नहीं पड़ती. यही नहीं, इस स्टेशन से आप अपने हवाई जहाज का खर्च भी बचा सकते हैं.

यहां से भी जा सकते हैं विदेश

पश्चिम बंगाल का सिंहाबाद स्टेशन भी देश का आखिरी स्‍टेशन माना जाता है. दक्षिण भारत में जहां से देश की समुद्री सीमा शुरू होती है, वहां के एक स्टेशन को भी देश का आखिरी स्टेशन कहा जाता है. पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के हबीबपुर इलाके में बना सिंहाबाद स्टेशन भारत का आखिरी सीमांत स्‍टेशन है. किसी समय में ये स्टेशन कोलकाता और ढाका के बीच सम्पर्क स्थापित करता था.

क्यों है ये वीरान

यहां से कई यात्री ट्रेन से होकर गुजरा करते थे, लेकिन आज के समय में ये स्टेशन एकदम वीरान है. यहां किसी भी यात्री के लिए कोई ट्रेन नहीं रूकती, इसी वजह से ये जगह एकदम वीरान रहती है. इस रेलवे स्टेशन का इस्तेमाल केवल मालगाड़ियों के ट्रांजिट के लिए होता है. सिंहाबाद रेलवे स्टेशन आज भी अंग्रेजों के समय का है. यहां आज भी आपको कार्डबोर्ड के टिकट दिखाई देंगे, जो अब किसी भी रेलवे पर दिखाई नहीं देते. इसके अलावा सिग्नल, संचार और स्टेशन से जुड़े सभी उपकरण, टेलीफोन और टिकट भी सब कुछ अंग्रेजों के समय की हैं.


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