इसके कारण प्राकृतिक रूप से बहने वाली नदी का पानी पीने से होने वाली जलजनित बीमारियाँ फूट पड़ी हैं। चिकटिया गांव में ग्रामीणों का कहना है कि पांच-छह साल से अधिक समय से जलदाय विभाग की ओर से स्वच्छ पेयजल का वितरण नहीं किया गया है। इस संबंध में संबंधित जलदाय विभाग को कई बार लिखित व मौखिक रूप से अवगत कराने के बाद भी कोई निराकरण नहीं हुआ है। तो उसके लिए यह समझ लीजिए कि सिस्टम अभी भी नींद में है, जिसने लोक-समय की समस्याओ को नहीं देखा है..? अब चिकटिया गांव के स्थानीय लोगों ने भी दावा किया है कि अगर जल आपूर्ति विभाग ने पेयजल समस्या का समाधान नहीं किया तो ग्रामीण चुनाव के दौरान वोट नहीं देंगे, क्योंकि जो सरपंच सदस्यों को कई बार अवगत कराने के बाद भी समस्याओं का समाधान नहीं करते हैं, तो उन सरपंचों व सदस्यों को केवल अपनी जेबें भरने में ही रुचि रहती है।
चिकटिया गांव में पेयजल की समस्या को लेकर जेटेट सहित संबंधित अधिकारियों को कई बार लिखित व मौखिक आवेदन दे चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है, तो इस बार भी कोई जिम्मेदार अधिकारी ध्यान देंगे या नहीं...? चिकटिया गांव एक हजार से अधिक आदिवासी विस्थापित परिवारों का घर है। यहां रहने वाले लोगों को पांच से छह साल से अधिक समय हो जाने के बावजूद नल से पानी नहीं मिला है, इसलिऐ पीने का पानी लाने के लिए पहाड़ी पर चढ़ना और उतरणा पड़ता है, देखने वाली बात यह है कि क्या इन समस्याओं का समाधान हो पाएगा...?
एक टिप्पणी भेजें