- Aliens on Mars: मंगल ग्रह पर 50 साल पहले मिल गए थे एलियंस, NASA की गलती से हुई सबकी मौत! | सच्चाईयाँ न्यूज़

बुधवार, 30 अगस्त 2023

Aliens on Mars: मंगल ग्रह पर 50 साल पहले मिल गए थे एलियंस, NASA की गलती से हुई सबकी मौत!

Aliens on Mars: मंगल ग्रह पर 50 साल पहले मिल गए थे एलियंस, NASA की गलती से हुई सबकी मौत!
 


दुनिया की सबसे बड़ी अनसुलझी पहेली ये है कि क्या एलियंस सच में मौजूद हैं. ये एक ऐसा सवाल है, जिसका जवाब अभी तक ढूंढा नहीं जा सका है. इंसान ने चांद से लेकर सूरज तक मिशन भेज लिए, लेकिन अब तक एलियंस का कोई सबूत नहीं मिला है. इस बीच एलियंस को लेकर एक सनसनीखेज दावा किया गया है. कहा गया है कि एलियंस को 50 साल पहले ही ढूंढ लिया गया था. डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, टेक्निकल यूनिवर्सिटी बर्लिन के फैकल्टी मेंबर और एस्ट्रोबायोलॉजी प्रोफेसर डिर्क शुल्ज-मकुच का कहना है कि एलियंस को 50 साल पहले ही ढूंढ लिया गया था. लेकिन अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने अनजाने में सबको खत्म कर दिया. उनका दावा है कि एलियंस की खोज सूक्ष्मजीव के तौर पर हुई थी, जो मंगल ग्रह की मिट्टी में रह रहे थे. मगर नासा की गलती के चलते वे सभी मारे गए. नासा ने 1970 के दशक में भेजा था मंगल पर मिशन दरअसल, नासा ने 1970 के मध्य में वाइकिंग प्रोग्राम की शुरुआत की थी. इसके तहत मंगल ग्रह पर दो लैंडर भेजे गए. मिशन के जरिए दुनिया ने पहली बार मंगल ग्रह की सतह की तस्वीर को देखा. लाल ग्रह पर जीवन की संभावना की जांच के लिए इसकी मिट्टी का जैविक विश्लेषण भी किया गया. प्रोफेसर के मुताबिक, मंगल ग्रह पर कई तरह से एक्सपेरिमेंट किए गए, ताकि उसकी मिट्टी की बनावट को समझा जा सके. मंगल ग्रह पर कैसे मारे गए एलियंस? वाइकिंग प्रोग्राम के तहत किए गए एक्सपेरिमेंट के हिस्से के तौर पर पोषक तत्व मिले हुए पानी और रेडियोएक्टिव कार्बन को मंगल ग्रह की मिट्टी में मिलाया गया. वैज्ञानिकों का मानना था कि अगर मंगल ग्रह पर संभावित सूक्ष्मजीव होंगे, तो वे जीवन के लिए पोषक तत्वों को खाएंगे. इससे रेडियोएक्टिव कार्बन गैस बाहर निकलेगी. जिसे डिटेक्ट कर मंगल ग्रह पर एलियंस जीवन की पुष्टि कर दी जाएगी. यहां हैरानी की बात ये है कि शुरुआती नतीजों में रेडियोएक्टिव गैस बाहर भी निकली, मगर सूक्ष्मजीवों के बारे में कोई भी ठोस सबूत नहीं मिल पाया. एस्ट्रोबायोलॉजी प्रोफेसर डिर्क शुल्ज-मकुच का कहना है कि नासा के इस एक्सपेरिमेंट की वजह से सूक्ष्मजीवों को जरूरत से ज्यादा पोषक तत्व मिल गए होंगे, जिनकी वजह से उनकी जान चली गई होगी. एक्सपेरिमेंट पर क्या बोले प्रोफेसर? प्रोफेसर डिर्क शुल्ज-मकुच ने अपना तर्क रखते हुए कहा कि जैसा की हम जानते हैं कि पृथ्वी पर पानी मौजूद है. हमें लगता है कि अगर हम मंगल ग्रह की जमीन पर पानी का इस्तेमाल करेंगे, तो वहां मौजूद सूक्ष्मजीव उससे रिएक्ट कर अपनी मौजूदगी बता सकते हैं. ये दृष्टिकोण कुछ हद तक बहुत सही है. वह कहते हैं कि मंगल ग्रह पर मौजूद रहे सूक्ष्मजीवों के पास पानी को संभालने की ताकत नहीं रही होगी, जो उनकी मौत की वजह बनी. प्रोफेसर आगे बताते हैं कि ये बिल्कुल ऐसा है, जैसे किसी इंसान को रेगिस्तान में अधमरी हालत में पाया जाता है. फिर वो इंसान किसी को मिल जाता है और वह व्यक्ति इंसान की जान बचाने के लिए उसे पानी देता है. मगर मीठा पानी देने के बजाय इंसान को खारे पानी वाले समुद्र में फेंक दिया जाता है. इसकी वजह से इंसान की जान बचने के बजाए उसकी मौत हो जाती है. उन्होंने कहा कि मंगल ग्रह पर जीवन की तलाश के लिए नया मिशन भेजा जाना चाहिए.

एक टिप्पणी भेजें

Whatsapp Button works on Mobile Device only

Start typing and press Enter to search

Do you have any doubts? chat with us on WhatsApp
Hello, How can I help you? ...
Click me to start the chat...