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बुधवार, 30 अगस्त 2023

चांद पर कैसे एक लाख साल तक रह सकते हैं 800 करोड़ लोग, कहां से मिलेगी इतनी आबादी को ऑक्‍सीजन

चांद पर कैसे एक लाख साल तक रह सकते हैं 800 करोड़ लोग, कहां से मिलेगी इतनी आबादी को ऑक्‍सीजन

Life on Moon: भारत के चंद्रमा के अनछुए दक्षिणी हिस्‍से पर कदम रखने के बाद चर्चा हो रही है कि क्‍या चांद पर इंसानी बस्तियां बसाई जा सकती हैं? इस सवाल के जवाब में वैज्ञानिकों का कहना है कि चांद पर अगले एक लाख साल तक 800 करोड़ लोग आसानी से रह सकते हैं.

अब सवाल उठता है कि चांद पर इतनी बड़ी संख्‍या में लोगों को सांस लेने के लिए ऑक्‍सीजन कहां से मिलेगी? स्‍पेस एक्‍सप्‍लोरेशन में लगातार हो रही प्रगति के साथ ही कई देश इससे जुड़ी टेक्‍नोलॉजी को विकसित करने के लिए बहुत ज्‍यादा पैसा और समय का निवेश कर रहे हैं. इससे हमें अंतरिक्ष संसाधनों के प्रभावी इस्‍तेमाल का मौका मिल सकता है.

कई देश चांद पर ऑक्‍सीजन का उत्‍पादन करने के तरीकों की खोज पर सबसे ज्‍यादा ध्‍यान दे रहे हैं. ऑस्ट्रेलिया की अंतरिक्ष एजेंसी और अमेरिकी स्‍पेस एजेंसी नासा ने अक्टूबर में आर्टेमिस प्रोग्राम के तहत चांद पर एक रोवर भेजने का समझौता किया है. इसका लक्ष्य चांद की चट्टानों को इकट्ठा करना है. माना जा रहा है कि ये चट्टानें ही चांद पर ऑक्सीजन उपलब्‍ध कराने में मदद कर सकती हैं. दरअसल, चंद्रमा का वायुमंडल बहुत पतला है, जो ज्यादातर हाइड्रोजन, नियॉन और आर्गन से बना है. ऐसे गैसीय मिश्रण में मनुष्यों जैसे ऑक्सीजन पर निर्भर स्तनधारी जीवित नहीं रह सकते हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि असल में चांद पर प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन उपलब्‍ध है.

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वैज्ञानिकों के मुताबिक, चांद पर उपलब्‍ध ऑक्‍सीजन गैसीय रूप में नहीं है. यह रेजोलिथ के अंदर फंसी हुई है. बता दें कि चंद्रमा की सतह को कवर करने वाली चट्टान और महीन धूल की परत को रेजोलिथ कहा जाता है. अब सवाल ये उठता है कि अगर हम रेजोलिथ से ऑक्सीजन निकाल लें तो क्या यह चांद पर मानव जीवन को बनाए रखने के लिए पर्याप्‍त होगी? वैज्ञानिकों का कहना है कि ऑक्सीजन हमारे आसपास की जमीन में मौजूद कई खनिजों में पाई जाती है. चंद्रमा भी ज्यादातर उन्हीं चट्टानों से बना है, जो पृथ्वी पर हैं. हालांकि, इसमें कुछ ज्‍यादा मात्रा में उल्‍काओं से आने वाली सामग्री भी होती है.

चांद पर सिलिका, एल्युमीनियम, आयरन और मैग्नीशियम ऑक्साइड जैसे खनिज बहुत ज्‍यादा हैं. इन सभी खनिजों में ऑक्सीजन होती है.

मानव उपयोगी कैसे हो चांद की ऑक्‍सीजन?

चांद पर सिलिका, एल्युमीनियम, आयरन और मैग्नीशियम ऑक्साइड जैसे खनिज बहुत ज्‍यादा हैं. इन सभी खनिजों में ऑक्सीजन होती है, लेकिन ये हमारे फेफड़े तक नहीं पहुंच सकती है. चंद्रमा पर ये खनिज कठोर चट्टान, धूल, बजरी और सतह को कवर करने वाले पत्थरों समेत अलग-अलग रूपों में मौजूद है. यह सामग्री अनगिनत सहस्राब्दियों तक चंद्रमा की सतह से टकराने वाले उल्कापिंडों के कारण बनी है. चंद्रमा की सतह पर मौजूद सभी सामग्रियां अपने मूल रूप में पड़ी हैं. ये अनछुई सामग्री है. चांद पर मौजूद ऑक्‍सीजन को इंसानों के इस्‍तेमाल से पहले प्रॉसेस करना पड़ेगा.

ऐसे अलग की जा सकती है चांद पर ऑक्‍सीजन

चंद्रमा का रेजोलिथ करीब 45 फीसदी ऑक्सीजन से बना है. यह ऑक्सीजन कई खनिजों में मजबूती से बंधी हुई है. उन मजबूत बंधनों को तोड़ने के लिए हमें ऊर्जा लगानी होगी. चांद पर मौजूद ऑक्‍सीजन को मानव उपयोगी बनाने के लिए इलेक्ट्रोलिसिस प्रॉसेस का इस्‍तेमाल करना होगा. बता दें कि धरती पर इस प्रक्रिया का इस्‍तेमाल मैन्‍युफैक्‍चरिंग सेक्‍टर में किया जाता है. उदाहरण के लिए एल्युमीनियम को ऑक्सीजन से अलग करने के लिए इलेक्ट्रोड के जरिये लिक्विड एल्यूमीनियम ऑक्साइड में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है. इस मामले में ऑक्सीजन का उत्पादन बाईप्रोडक्‍ट के तौर पर होता है. चंद्रमा पर ऑक्सीजन मुख्य उत्पाद होगा और निकाला गया एल्यूमीनियम बाईप्रोडक्‍ट होगा.

वैज्ञानिकों का कहना है कि यह बहुत ही सीधी प्रक्रिया है. लेकिन, इसमें बहुत अधिक ऊर्जा की जरूरत पड़ना बड़ी समस्‍या है. इसे चंद्रमा पर उपलब्ध सौर ऊर्जा या दूसरे ऊर्जा स्रोतों का इस्‍तेमाल करना होगा. रेजोलिथ से ऑक्सीजन निकालने के लिए कई उपकरणों की जरूरत पड़ेगी. पहले ठोस धातु ऑक्साइड को तरल बनाना होगा.

 इसके लिए बहुत ज्‍यादा हीट या सॉल्‍वैंट्स या इलेक्ट्रोलाइट्स के साथ हीट की जरूरत होगी. धरती पर ऐसा करने की तकनीक उपलब्‍ध है, लेकिन इसे चांद पर ले जाना और चलाने के लिए ऊर्जा पैदा करना बड़ी चुनौती होगी. हालांकि, बेल्जियम के स्टार्टअप स्पेस एप्लिकेशन सर्विसेज को उम्‍मीद है कि वह ईएसए के इन-सीटू रिसोर्स यूटिलाइजेशन मिशन के साथ 2025 तक अपनी टेक्‍नोलॉजी को चांद पर भेजेगा.

चांद की रेजोलिथ के प्रति घनमीटर में औसतन 1.4 टन खनिज होते हैं. इसमें करीब 630 किलोग्राम ऑक्सीजन मिल सकती है.


कितनी ऑक्सीजन उपलब्‍ध करा सकता है चांद?

अगर चांद की रेजोलिथ से ऑक्‍सीजन निकालने में सफलता मिल जाती है तो हमें बड़ी मात्रा में ऑक्‍सीजन मिल जाएगी. अनुमान है कि चांद की रेजोलिथ के प्रति घनमीटर में औसतन 1.4 टन खनिज होते हैं. इसमें करीब 630 किलोग्राम ऑक्सीजन मिल सकती है. नासा का कहना है कि इंसानों को जीवित रहने के लिए हर दिन करीब 800 ग्राम ऑक्सीजन की जरूरत होती है.

 इस आधार पर 630 किलोग्राम ऑक्सीजन एक व्यक्ति को करीब दो साल या ज्‍यादा समय तक जीवित रख सकेगी. अब मान लेते हैं कि चंद्रमा पर रेजोलिथ की औसत गहराई 10 मीटर है और हम इससे पूरी ऑक्सीजन निकाल सकते हैं. इसका मतलब है कि चांद की सतह के ऊपर 10 मीटर में 800 करोड़ लोगों को एक लाख साल तक जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन मिल जाएगी.

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