24 अगस्त को नासा ने अपने एक ई-मेल में बताया कि अंतराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पकी ओर बहुत बड़ी मात्रा में अंतरिक्ष कचरा आ रहा था. संभावित दुर्घटना से इसे बचाने के लिए रूस इंजन और थ्रस्टर्स से 21 सेकंड तक फायरिंग कर बचाया गया.
नासा ने बताया कि स्पेस स्टेशन को बचाने के लिए, उसे पृथ्वी की ओर तक़रीबन 1640 फ़ीट (~500 मीटर) तक नीचे किया गया. लेकिन ये (ISS) 400 किलोमीटर की ऑर्बिट में चक्कर लगाता है.
नासा ने हाल में ही बताया था, अंतराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन का जीवन काल सिर्फ 7 साल की बचा है. पिछले साल के घोषणा के मुताबिक ये 2030 में काम करना बिल्कुल बंद कर देगा. साल 2031 में इसे प्रशांत महासागर में गिरा दिया जाएगा, तब तक यहां से सभी अंतरिक्ष यात्रियों को निकाल लिया जाएगा.
नासा ने बताया है कि इसे 8 साल बाद जनवरी 2031 में प्रशांत महासागर की पॉइंट नीमो में गिराया जाएगा. जमीन से तक़रीबन 2700 किलोमीटर दूर समुद्र में जगह है. ये जगह पुराने स्पेस स्टेशन, पुरानी सैटेलाइट्स और अन्य अंतरिक्षीय कचरे के लिए ही निर्धारित की गई है.
नासा ने बताया कि शांत महासागर की पॉइंट नीमो में इंसानी गतिविधियां बिल्कुल वर्जित है. वैसे ये जगह इतनी निर्जन है है कि इंसानों का रहना मुश्किल है. यहां पर जहाजों और हवाई जहाजों का आने-जाने पर भी पाबंदी है. ये जगह स्थल से तक़रीबन 2700 किलोमीटर दूर है.
आईएसएस (ISS) को साल 1998 में लंच किया गया था. इसके बनाने में अमेरिका, रूस, जापान, कनाडा, ब्राजील, यूके, स्विट्जरलैंड, स्वीडन, स्पेन, नॉर्वे, नीदरलैंड्स, इटली, जर्मनी, फ्रांस, डेनमार्क और बेल्जियम शामिल हैं. ये रोजाना पृथ्वी का 16 चक्कर लगाता है. दिसंबर 2020 तक 27,600 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से ये अब तक 131, 440 चक्कर लगा चुका है.
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