ADITYA L-1 मिशन लॉन्च करने के बाद भारत अब सूरज पर भी स्टडी करने जा रहा है. भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO की तरफ से बताया गया है कि 2 सितंबर को ये मिशन लॉन्च किया जाएगा, जो पृथ्वी से करीब 15 लाख किमी की दूरी पर रहकर सूरज में होने वाली हर हरकत पर नजर रखेगा, ये एक ऐसी कक्षा है जहां से सुरक्षित रहते हुए सूरज की स्टडी की जा सकती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सूरज की सतह को सबसे पहले किस स्पेस मिशन ने छुआ था?
आइए हम आपको बताते हैं...
पहले भारत के ADITYA L-1 मिशन की बात करें तो चंद्रयान-3 से चांद की सतह पर उतरने के बाद अब भारत सूरज के रहस्यों से भी पर्दा उठाने की कोशिश कर रहा है. इस खास मिशन के जरिए ये पता लगाया जाएगा कि सूरज से निकलने वाली किरणों का धरती पर क्या बुरा असर हो सकता है, साथ ही इसी तरह की बाकी चीजों की जानकारी भी जुटाई जाएगी.
NASA ने रचा था इतिहास
अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने सबसे पहले सूरज को छूने का रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज किया था. नासा की तरफ से इसके लिए पार्कर सोलर प्रोब नाम का एक मिशन लॉन्च किया गया था. बताया गया कि पिछले कई दशकों से इसे लेकर नासा काम कर रहा था, जिसके बाद अगस्त 2018 में इसे लॉन्च किया गया.
क्या वाकई में सूरज को छू पाया सैटेलाइट?
नासा के पार्कर सोलर प्रोब ने सूरज के कोरोना को टच करने के बाद इतिहास रचा था. सूरज के सबसे आउटर पार्ट को कोरोना कहा जाता है, इस हिस्से का ही सबसे ज्यादा टेंपरेचर (करीब 17 लाख डिग्री फारेनहाइट) होता है. यही वजह है कि नासा के इस मिशन को सूरज का सबसे बड़ा मिशन कहा गया था, जो सूरज के इतने करीब पहुंच पाया.
क्या था मिशन का मकसद
नासा के इस मिशन का मकसद भी सूरज को लेकर उठने वाले कई सवालों का जवाब तलाशना था. इस स्पेसक्राफ्ट ने नासा को कई सवालों के जवाब भी दिए. इसने नासा को बताया था कि सूरज से निकलने वाला सोलर विंड जिग-जैग स्ट्रक्चर का होता है.
ADITYA L-1 मिशन लॉन्च करने के बाद भारत अब सूरज पर भी स्टडी करने जा रहा है. भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO की तरफ से बताया गया है कि 2 सितंबर को ये मिशन लॉन्च किया जाएगा, जो पृथ्वी से करीब 15 लाख किमी की दूरी पर रहकर सूरज में होने वाली हर हरकत पर नजर रखेगा, ये एक ऐसी कक्षा है जहां से सुरक्षित रहते हुए सूरज की स्टडी की जा सकती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सूरज की सतह को सबसे पहले किस स्पेस मिशन ने छुआ था?
पहले भारत के ADITYA L-1 मिशन की बात करें तो चंद्रयान-3 से चांद की सतह पर उतरने के बाद अब भारत सूरज के रहस्यों से भी पर्दा उठाने की कोशिश कर रहा है. इस खास मिशन के जरिए ये पता लगाया जाएगा कि सूरज से निकलने वाली किरणों का धरती पर क्या बुरा असर हो सकता है, साथ ही इसी तरह की बाकी चीजों की जानकारी भी जुटाई जाएगी.
NASA ने रचा था इतिहास
अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने सबसे पहले सूरज को छूने का रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज किया था. नासा की तरफ से इसके लिए पार्कर सोलर प्रोब नाम का एक मिशन लॉन्च किया गया था. बताया गया कि पिछले कई दशकों से इसे लेकर नासा काम कर रहा था, जिसके बाद अगस्त 2018 में इसे लॉन्च किया गया.
क्या वाकई में सूरज को छू पाया सैटेलाइट?
नासा के पार्कर सोलर प्रोब ने सूरज के कोरोना को टच करने के बाद इतिहास रचा था. सूरज के सबसे आउटर पार्ट को कोरोना कहा जाता है, इस हिस्से का ही सबसे ज्यादा टेंपरेचर (करीब 17 लाख डिग्री फारेनहाइट) होता है. यही वजह है कि नासा के इस मिशन को सूरज का सबसे बड़ा मिशन कहा गया था, जो सूरज के इतने करीब पहुंच पाया.
क्या था मिशन का मकसद
नासा के इस मिशन का मकसद भी सूरज को लेकर उठने वाले कई सवालों का जवाब तलाशना था. इस स्पेसक्राफ्ट ने नासा को कई सवालों के जवाब भी दिए. इसने नासा को बताया था कि सूरज से निकलने वाला सोलर विंड जिग-जैग स्ट्रक्चर का होता है.
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