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मंगलवार, 11 जुलाई 2023

'भारत की भूमिका का करते हैं स्वागत', यूक्रेन में शांति प्रयासों को लेकर US का बड़ा बयान

रूस और यूक्रेन के बीच करीब डेढ़ साल से संघर्ष जारी है। युद्ध खत्म करने की तमाम कोशिशों के बावजूद इसके आसार नहीं दिख रहे हैं। इस बीच, अब अमेरिका ने कहा है कि अगर भारत या कोई देश यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को ध्यान में रखते हुए 'न्यायसंगत और स्थायी शांति' प्राप्त करने के लिए मदद कर सकता है तो अमेरिका उसका स्वागत करेगा। दरअसल, अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर सोमवार को पत्रकारों से बात कर रहे थे। इस दौरान उनसे जब पूछा गया कि रूस-यूक्रेन युद्ध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत कोई भूमिका निभा सकते हैं या नहीं? इस पर मिलर ने कहा कि भारत या कोई अन्य देश यूक्रेन में स्थायी शांति प्राप्त करने में भूमिका निभाएगा तो अमेरिका उसका स्वागत करेगा। मिलन ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर कहा कि देखा जाए तो यह युद्ध रूस के लिए रणनीतिक विफलता रही है। इसमें उसे सैन्य कर्मियों और हथियारों दोनों का भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने दुनिया में अपनी स्थिति को प्रभावित होते देखा है। उन्होंने देखा है कि कैसे अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों और निर्यात नियंत्रणों से उनकी अर्थव्यवस्था चरमराई है। उन्होंने आगे कहा कि हम उन सभी अंतरराष्ट्रीय देशों का सम्मान करते हैं, जिन्होंने इस युद्ध के शुरुआत से अभी तक यूक्रेन की मदद की है। उन्होंने आगे कहा कि आने वाले समय में जो भी देश यूक्रेन में स्थायी शांति लाएगा अमेरिका उसका स्वागत करने के लिए तैयार है। गौरतलब है, जून की शुरुआत में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर एक संयुक्त बयान जारी किया था। उन्होंने इस युद्ध को खतरनाक बताया था। इस दौरान, पीएम मोदी ने यूक्रेन-रूस युद्ध पर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था कि युद्ध से लोगों को पीड़ा पहुंचती है। दो देशों के युद्ध के वजह से विकासशील देश भी प्रभावित हुए हैं। युद्ध के कारण वैश्वीकरण को भी नुकसान पहुंचा है। सप्लाई चेन सीमित हो गई है। हमें मिलकर कोशिश करना होगा कि सप्लाई चेन को भी विकेंद्रीकृत और लोकतांत्रिक किया जाए। तकनीक ही सुरक्षा और खुशहाली को तय करेगी। यूक्रेन संकट की वजह से यूरोप जंग के साये में है। इसमें कई शक्तियां शामिल हैं, इसलिए नतीजे गंभीर हैं। पीएम ने कहा कि मैंने खुलकर कहा था कि यह जंग का दौर नहीं है, बल्कि संवाद और कूटनीति का दौर है। हमें रक्तपात और लोगों की पीड़ा को मिलकर रोकना चाहिए।

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