रायबरेली। मंडलायुक्त डॉ. रोशन जैकब के सत्यम हॉस्पिटल के लाइसेंस को निलंबित करके चिकित्सीय सेवाएं बंद करने के आदेश के बावजूद हॉस्पिटल धड़ल्ले से चलता रहा। मरीज आते रहे और उनका इलाज होता रहा।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने न तो लाइसेंस निलंबित किया और न ही स्वास्थ्य सेवाओं को बंद कराया। उधर डीएम ने एडीएम की अगुवाई में उच्च स्तरीय जांच कमेटी गठित कर दी है। उन्होंने सीएमओ को सत्यम हॉस्पिटल के लाइसेंस के निलंबन व अन्य कार्रवाई के निर्देश दिए हैं, लेकिन इस पर अभी तक अमल नहीं किया गया है।
शहर के इंदिरा नगर स्थित सत्यम हॉस्पिटल में गलत इलाज से लालगंज क्षेत्र के रानीपुर गांव निवासी सुरेंद्र कुमार शर्मा के दो माह के बेटे राघव का हाथ सड़ गया था। एम्स में इलाज के दौरान सात जुलाई को बच्चे का हाथ काटना पड़ा था। आठ जुलाई की रात नवजात ने दम तोड़ दिया था। मामले में डॉ. आशुतोष सिंह के खिलाफ शहर कोतवाली में मुकदमा कराने के साथ ही डीएम के आदेश पर एसीएमओ डॉ. अरविंद कुमार, सर्जन डॉ. आशा शंकर वर्मा व बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सत्यजीत सिंह की टीम ने जांच शुरू की थी।
जांच शुरू होने के 20 दिन बाद भी टीम निर्णय लेने में नाकाम रही, लेकिन बीती 18 जुलाई को कलेक्ट्रेट स्थित बचत भवन में जनता दर्शन के दौरान मंडलायुक्त डॉ. रोशन जैकब से राघव के पिता ने गुहार लगाई थी। कमिश्नर ने सीएमओ को जांच पूरी कराकर कार्रवाई के आदेश दिए थे, लेकिन सात दिन बाद भी जांच अधूरी रहने पर कमिश्नर ने गत सोमवार को मामले में उच्च स्तरीय कमेटी के गठन के साथ ही जांच की प्रक्रिया पूरी न होने तक तत्काल प्रभाव के सत्यम हॉस्पिटल के क्लीनिकल लाइसेंस को निलंबित करते हुए सभी स्वास्थ्य संबंधी क्रियाओं को प्रतिबंधित करने के आदेश दे दिए।
कमिश्नर के आदेश के बाद भी मंगलवार को अस्पताल पहले की ही तरह संचालित रहा। स्वास्थ्य विभाग की टीम कार्रवाई करने के लिए नहीं पहुंची। लाइसेंस भी निलंबित नहीं किया गया है। डीएम ने एडीएम (वित्त एवं राजस्व) पूजा मिश्रा और सीएमओ डॉ. वीरेंद्र सिंह की जांच कमेटी गठित कर दी है। सीएमओ को कमिश्नर के आदेश का अनुपालन कराने का आदेश दिया है।
सीएमओ डॉ. वीरेंद्र सिंह का कहना है कि सत्यम हॉस्पिटल के लाइसेंस को निलंबित होने में समय लगेगा। लाइसेंस निलंबित करने की प्रक्रिया होती है। प्रक्रिया पूरी होने के बाद कार्रवाई होगी। अगर बिना प्रक्रिया पूरी किए लाइसेंस निलंबित किया जाएगा तो दूसरा पक्ष कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है। मामले में डीएम के स्तर से कार्रवाई करने के निर्देश मिले हैं।
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