Cinematograph Amendment Bill passed in Lok Sabha: लोकसभा ने आज (31 जुलाई) सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक 2023 पारित कर दिया है। इस विधेयक का उद्देश्य फिल्म पाइरेसी खतरे पर अंकुश लगाना, केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) द्वारा दिए गए उम्र-आधारित प्रमाणन में सुधार लाना है।
मणिपुर में चल रही जातीय हिंसा पर विपक्षी दलों के सदस्यों के विरोध के बावजूद सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक 2023 लोकसभा में ध्वनि मत से पारित हो गया। यह विधेयक 27 जुलाई को राज्यसभा द्वारा पारित किया गया था।
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, भारत की फिल्में केजीएफ और आरआरआर ने पूरी दुनिया में कामयाबी का डंका बजाया और साउथ की फिल्में देश-दुनिया में अपनी पहचान बना रही हैं। भारत के पास वह सब उपलब्ध है जो देश को दुनिया का 'कंटेंट हब' बनाने की सलाहियत रखता है। इस विधेयक में फिल्म इंडस्ट्री के हर पहलू पर ध्यान दिया गया है और काफी गौर करने के बाद इसे लाया गया है।
पायरेसी के खिलाफ कानून सख्त
नए कानून के मुताबिक अब फिल्म पाइरेसी करते पकड़े जाने पर 3 साल तक की जेल और फिल्म की लागत का 5% जुर्माना लगेगा. यानी अगर किसी फिल्म की लागत 100 करोड़ रुपए है तो उस फिल्म की पायरेसी करते पकड़े जाने पर 5 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। अनुराग ठाकुर ने कहा कि, पायरेसी की वजह से फिल्मी दुनिया को हर साल 20 से 22 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होता है। फिल्म इंडस्ट्री की ओर से काफी समय से इस विधेयक को लाए जाने की मांग की जा रही थी।
फिल्मों की रेटिंग में बदलाव
इस विधेयक के जरिए 1952 के मूल कानून में संशोधन किया गया है। फिल्मों को अभी तक जो 'UA' सर्टीफिकेट दिया जाता है, उसे अब तीन आयुवर्ग श्रेणियों 'UA 7+', 'UA 13+' और 'UA 16+' में रखा जाएगा। यानि की फिल्मों को UA सर्टिफिकेशन के तहत 7 साल, 13 साल और 16 साल के दर्शकों के लिए अलग-अलग सर्टिफाइड किया जाएगा।
इस बिल की एक अहम बात यह भी है कि अभी तक सेंसर बोर्ड फिल्मों को 10 साल के लिए सर्टिफिकेट देता था.. लेकिन, अब दस साल की जगह हमेशा के लिए सेंसर फिल्मों को यह सर्टिफिकेट देगा। इस तरह फिल्म निर्माता और प्रसारक बिना किसी कानूनी समस्या के अपना कंटेंट दर्शकों तक पहुंचा सकते हैं।
Cinematograph Amendment Bill passed in Lok Sabha: लोकसभा ने आज (31 जुलाई) सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक 2023 पारित कर दिया है। इस विधेयक का उद्देश्य फिल्म पाइरेसी खतरे पर अंकुश लगाना, केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) द्वारा दिए गए उम्र-आधारित प्रमाणन में सुधार लाना है।
मणिपुर में चल रही जातीय हिंसा पर विपक्षी दलों के सदस्यों के विरोध के बावजूद सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक 2023 लोकसभा में ध्वनि मत से पारित हो गया। यह विधेयक 27 जुलाई को राज्यसभा द्वारा पारित किया गया था।
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, भारत की फिल्में केजीएफ और आरआरआर ने पूरी दुनिया में कामयाबी का डंका बजाया और साउथ की फिल्में देश-दुनिया में अपनी पहचान बना रही हैं। भारत के पास वह सब उपलब्ध है जो देश को दुनिया का 'कंटेंट हब' बनाने की सलाहियत रखता है। इस विधेयक में फिल्म इंडस्ट्री के हर पहलू पर ध्यान दिया गया है और काफी गौर करने के बाद इसे लाया गया है।
पायरेसी के खिलाफ कानून सख्त
नए कानून के मुताबिक अब फिल्म पाइरेसी करते पकड़े जाने पर 3 साल तक की जेल और फिल्म की लागत का 5% जुर्माना लगेगा. यानी अगर किसी फिल्म की लागत 100 करोड़ रुपए है तो उस फिल्म की पायरेसी करते पकड़े जाने पर 5 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। अनुराग ठाकुर ने कहा कि, पायरेसी की वजह से फिल्मी दुनिया को हर साल 20 से 22 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होता है। फिल्म इंडस्ट्री की ओर से काफी समय से इस विधेयक को लाए जाने की मांग की जा रही थी।
फिल्मों की रेटिंग में बदलाव
इस विधेयक के जरिए 1952 के मूल कानून में संशोधन किया गया है। फिल्मों को अभी तक जो 'UA' सर्टीफिकेट दिया जाता है, उसे अब तीन आयुवर्ग श्रेणियों 'UA 7+', 'UA 13+' और 'UA 16+' में रखा जाएगा। यानि की फिल्मों को UA सर्टिफिकेशन के तहत 7 साल, 13 साल और 16 साल के दर्शकों के लिए अलग-अलग सर्टिफाइड किया जाएगा।
इस बिल की एक अहम बात यह भी है कि अभी तक सेंसर बोर्ड फिल्मों को 10 साल के लिए सर्टिफिकेट देता था.. लेकिन, अब दस साल की जगह हमेशा के लिए सेंसर फिल्मों को यह सर्टिफिकेट देगा। इस तरह फिल्म निर्माता और प्रसारक बिना किसी कानूनी समस्या के अपना कंटेंट दर्शकों तक पहुंचा सकते हैं।
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