राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रतजी ने मंगलवार को राजभवन में 'प्राकृतिक कृषि' विषय पर संगोष्ठी को सम्बोधित किया। उस समय, डांग जिले के प्रत्येक ई-ग्राम केंद्र, शैक्षिक परिसरों, सीआरसी, डांग जिले के बीआरसी सहित डांग जिले के किसान प्रशिक्षण केंद्र सहित सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के माध्यम से 9000 से अधिक लोगों-किसान मित्रों ने राज्यपाल का सीधा प्रसारण प्राकृतिक कृषि पर मार्गदर्शन देखा और प्राप्त किया।
राज्यपालश्री आचार्य देवव्रतजी ने कृषक मित्रों को प्राकृतिक कृषि पर मार्गदर्शन करते हुए कहा कि कृत्रिम उर्वरकों एवं कीटनाशकों के प्रयोग ने धरती माता को अत्यंत विषैला बना दिया है। दूरदर्शी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्रभाई मोदी का सपना है कि देश के प्रत्येक किसान को समृद्ध एवं खुशहाल बनाने के लिए जैविक कृषि की नितांत आवश्यकता है। आज प्राकृतिक कृषि प्रकृति, जल-जमीन, पर्यावरण और लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा का एक वैकल्पिक तरीका है।
राज्यपाल ने कहा कि प्राकृतिक खेती के लिए किसानों और समाज को सही दिशा देने में शिक्षकों-किसानों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। गाय आधारित कृषि भूमि को उपजाऊ बनाती है। उत्पादन बढ़ेगा और लागत भी घटेगी। जैविक खेती से किसानों की लागत कम होती है, उत्पादन बढ़ता है और उपज का उचित मूल्य मिलता है।
राज्यपाल ने डांग जिले के ई-ग्राम केन्द्र से कार्यक्रम का अवलोकन करते हुए प्रत्येक किसान मित्र, ग्रामीण, शिक्षक, युवा को जैव-ठोस जैव-ठोस बनाने की विधि से अवगत कराया तथा अनुरोध किया कि वे उनकी पुस्तक 'प्राकृतिक कृषि' का अध्ययन कर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्रभाई मोदी के सपने को साकार करने की पूर्ण संभावनाओं को साकार करें तथा दूसरों को भी प्राकृतिक कृषि करने के लिए प्रेरित करें।
इस अवसर पर आत्मा के परियोजना निदेशक श्री संजय भगरिया ने भी राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रतजी की प्रेरणा से डांग जिले में प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने का विश्वास व्यक्त किया, और कहा कि टीम के किसानों को प्राकृतिक कृषि का प्रशिक्षण देकर प्राकृतिक कृषि के लाभों से किसानों को अवगत कराने का काम कर रही है।
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