देवभूमि दंडकारण्य में इको टूरिज्म से डांग के कई वास्तविक लोगों को आर्थिक रोजगार मिल रहा है। यहां की संस्कृति, नृत्य, वार्ली और पाचवे पेंटिंग, डांगी प्राकृतिक व्यंजन, स्थानीय त्योहार, प्रकृति देवता आदिवासी संस्कृति के साथ जुड़े हुए हैं, साथ ही पर्यटकों को जंगलों, नदियों, झरनों, वन्य जीवन, पक्षियों के रमणीय दृश्यों को देखने का अवसर मिलता है। झरने आदि, मंत्री ने कहा। "कोरोना" जैसी महामारी के दौरान भी, डांगी के लोगों ने अपने स्वास्थ्य को बनाए रखा और कहा कि यहां अब तक बनाए गए हरे-भरे जंगल के कारण मानव मृत्यु दर नगण्य थी। मंत्री ने आगे कहा, मैं ऐसे वनों और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए सभी को और यहां के नेतृत्व को बधाई देता हूं।
डांग जिला भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्रभाई मोदी का पसंदीदा जिला है, जो गुजरात राज्य के बेटे और पोते हैं। मंत्री ने कहा कि प्रधान मंत्री की नजर हमेशा डांग जिले पर रहती है, इसलिए डबल इंजन सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल सुविधा, सड़क, दूरसंचार जैसे सभी क्षेत्रों/कनेक्टिविटी, प्रचुर रोजगार के अवसर प्रदान करने वाले विभिन्न कौशल विकास केंद्रों की स्थापना, साथ ही पशुपालन, कृषि, बिजली, वन, वन्य जीवन के विकास का मंत्र दिया। "सौनो साथ सौं विकास" सूत्र डांग जिले के लोगों के लिए सार्थक हो रहा है। वन पर्यावरण मंत्री ने सभी से जैविक को महत्व देने का आह्वान करते हुए कहा कि गुजरात के राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रतजी द्वारा डांग जिले को "प्राकृतिक जिला" घोषित किये जाने के बाद से यहां भूमि सुधार और खेती के तौर-तरीकों में बड़ा बदलाव आया है। रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर खाद, वर्मीकम्पोस्ट, खाद आदि।
मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्रभाई पटेल के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में वन विभाग वन संरक्षण, वन्य जीवों के संरक्षण, प्रवेश बिंदु कार्यों, वन सड़कों, विकास के क्षेत्र में प्रति वर्ष 50 करोड़ रुपये की लागत से विकास कार्य कर रहा है। आदिम समूह की कोटवालीया जाति समुदाय की- बताते हुए मंत्री ने कहा कि डांग के लोगों को सीधा आर्थिक लाभ मिलता है। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले वर्ष वन विभाग द्वारा ग्रामीणों को लगभग 10 लाख बांस वितरित किये गये थे। कृषि विज्ञान केंद्र, वघई में आयोजित कार्यक्रम में वन विभाग की वादी योजना, स्वामित्व योजना, वनलक्ष्मी योजना, वनधन योजना, क्लस्टर विकास परियोजना, भूमि समतलीकरण, नमी संरक्षण, वन अधिकार अधिनियम, वन जड़ी बूटी और भगत मंडली, जंगल कार्यकर्ता सहकारी समिति, स्वयं सहायता समूह, वन समिति एवं इको विकास समिति के लाभार्थियों को विभिन्न सहायता चेक वितरित किये गये।
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