‘स्टाइलिश स्टार’ के नाम से मशहूर अल्लू अर्जुन ने एक्टिंग में आने से पहले एक अनोखी नौकरी की थी. उन्होंने एक एनिमेटर के रूप में काम किया, लेकिन नियति ने उनके लिए कुछ और ही योजना बना रखी थी.
‘गंगोत्री’ (2003) में उनकी पहली फिल्म ने उनकी प्रसिद्धि में वृद्धि की शुरुआत की. इसके बाद क्लासिक ‘आर्या’ (2004) ने उन्हें नंदी स्पेशल जूरी पुरस्कार दिलाया और उन्हें स्टारडम तक पहुंचाया. अल्लू अर्जुन के करियर में ‘एस/ओ सत्यमूर्ति’ (2015), ‘रुद्रमादेवी’ (2015), और ‘अला वैकुंठपुरमुलु’ (2020) जैसी कई सफल फिल्में शामिल हैं. अब वे पुष्पा 2 में नजर आएंगे और इसके पहले भाग के जरिए वे एक ग्लोबल स्टार के रूप में उभरे.
अजीत कुमार (Ajith Kumar) साउथ फिल्म इंडस्ट्री के वो दिग्गज हैं, जिनकी फिल्में उनके नाम से चलती हैं. रजनीकांत (Rajinikanth), कमल हासन (Kamal Hassan), रवि तेजा (Ravi Teja) की ही तरह अजीत कुमार का स्टारडम साउथ इंडस्ट्री में फैंस को सर चढ़कर बोलता है. ‘थाला’ अजित कुमार (Ajith kumar career) ने 10वीं तक पढ़ाई करने के बाद स्कूल छोड़ दिया था और इसके बाद उनके फैमिली फ्रेंड द्वारा उनकी नौकरी लगवाई थी. यहां पर उन्होंने 6 महीने तक बतौर मेकैनिक काम किया और ट्रेनिंग ली. लेकिन, उनके पिता को उनका ये काम करना पसंद नहीं था. इसके बाद उन्होंने फैमिली फ्रेंड की एक्सपोर्ट कंपनी ज्वॉइन कर ली थी. यहां पर वो बिजनेस डेवलपर के तौर पर ग्रो किया. अजित कुमार आज जिस स्टारडम पर हैं, उसके पीछे उनकी जी तोड़ मेहनत है. उन्होंने 1986 में अपनी पढ़ाई छोड़कर कार रेसिंग में करियर बना लिया था. उस वक्त तो उन्होंने खुद भी नहीं सोचा था कि वो एक रेसर से कभी साउथ स्टार बनेंगे. रजनीकांत जैसे स्टार्स को टक्कर देंगे.
गोपीचंद ने अपने करियर की शुरुआत एक लोकप्रिय टीवी चैनल में समाचार वाचक के रूप में की थी. उनकी पहली फिल्म ‘थोली वलापु’ (2001) लोगों को कुछ खास रास नहीं आई लेकिन उन्हें ‘जयम’ (2002) और ‘वर्षम’ (2004) जैसी फिल्मों में खलनायक की भूमिका निभाकर पहचान मिली. फिल्म ‘यग्नम’ (2004) ने उन्हें जबरदस्त लोकप्रियता दिलाई. एक्शन से भरपूर भूमिकाओं में अपने जीवंत प्रदर्शन के लिए उन्होंने एक्शन स्टार और माचो स्टार जैसे टैग मिले.
भारतीय सिनेमा के सबसे प्रिय हास्य कलाकारों में से एक ब्रह्मानंदम ने हमें गुदगुदाने से पहले एक अलग करियर चुना था. उन्होंने मास्टर ऑफ आर्ट्स की डिग्री पूरी करने के बाद तेलुगु लेक्चरर के रूप में काम किया. अपने शिक्षण कार्य के साथ-साथ, उन्होंने थिएटर और मिमिक्री भी की. उनकी प्रतिभा ने निर्देशक जंध्याला का ध्यान खींचा, जिससे उन्हें 1987 में आई फिल्म ‘अहा ना पेलंता!’ में सफल भूमिका मिली. ब्रह्मानंदम के पास एक अभिनेता के रूप में सबसे अधिक स्क्रीन क्रेडिट का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड है और उन्होंने अपनी त्रुटिहीन कॉमिक टाइमिंग के लिए कई पुरस्कार जीते हैं.
फिल्म उद्योग में कदम रखने से पहले, सुधीर बाबू ने एक बैडमिंटन खिलाड़ी के रूप में अपनी शुरुआत की थी. उन्हें आंध्र प्रदेश और कर्नाटक दोनों में नंबर 1 स्थान दिया गया था और यहां तक कि उन्होंने प्रसिद्ध पुलेला गोपीचंद के साथ युगल जोड़ीदार के रूप में भी खेला था. सुधीर ने मुख्य अभिनेता के रूप में अपनी शुरुआत ‘शिवा मानसुलो श्रुति’ (2012) से की. उनकी प्रतिभा और समर्पण ‘प्रेम कथा चित्रम’ (2013) और ‘सम्मोहनम’ (2018) जैसी सक्सेसफुल फिल्मों में देखने को मिली. वे गोपीचंद की बायोपिक में उनका किरदार निभाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं.
500 से अधिक फिल्मों के प्रदर्शन वाले बहुमुखी अभिनेता मोहन बाबू की शुरुआत वाईएमसीए कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन में एक जिम शिक्षक के रूप में हुई थी. स्क्रिप्ट राइटर दसारी नारायण राव से उनका परिचय उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ. बाबू के अभिनय करियर की शुरुआत फिल्म ‘स्वर्गम नरकम’ (1975) से हुई, जिसमें उन्होंने एक खलनायक की भूमिका निभाई. विभिन्न भूमिकाओं में उनके असाधारण प्रदर्शन ने उन्हें फिल्म उद्योग में जबरदस्त लोकप्रियता और सम्मान दिलाया.
एक्टिंग में आने से पहले विजय देवरकोंडा (Vijay Deverakonda) ने एक ट्यूशन मास्टर के रूप में काम किया था. उन्होंने ‘नुव्विला’ (2011) में अपनी पहली फिल्म के साथ फिल्म इंडस्ट्री में एंट्री ली थी, लेकिन आने वाले युग के ड्रामा ‘येवडे सुब्रमण्यम’ (2015) में अपनी भूमिका के लिए उन्हें जबरदस्त लोकप्रिया और प्रशंसा मिली. हालांकि, उन्होंने ‘अर्जुन रेड्डी’ (2017) से खुद को एक मुख्य अभिनेता के रूप में स्थापित किया. इसके बाद, उन्होंने ‘गीता गोविंदम’ (2018) और ‘टैक्सीवाला’ (2018) सहित कई बॉक्स ऑफिस हिट फिल्में दीं, जिससे एक स्टार हीरो के रूप में उनकी स्थिति मजबूत हुई.
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