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गुरुवार, 8 जून 2023

RBI : लोन पर दिए गए दस्तावेज खोने पर बैंकों या कर्जदाताओं पर लगे जुर्माना , आरबीआई पैनल ने की सिफारिश

 RBI Panel BP Kanungo committee: भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से बनाई गई बीपी कानूनगो कमिटी ने एक प्रस्ताव पेश किया है, जिसके तहत कहा गया है कि अगर कोई बैंक किसी भी लोन लेने वाले ग्राहक के प्रॉपर्टी डॉक्यूमेंट का नुकसान करता है या फिर उसे लापरवाही से खो देता है तो उपसपर जुर्माना लगाया जाना चाहिए.आमतौर पर बैंक या कर्जदाता लोन के बदले संपत्ति के दस्तावेज मांगते हैं और जबतक लोन चुकता नहीं होता दस्तावेज रखे जाते हैं.

मई 2022 में आरबीआई ने ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए विनियमित संस्थाओं में ग्राहक सेवाओं की जांच और समीक्षा करने के उद्देश्य से बीपी कानूनगो की अध्यक्षता में एक छह सदस्यीय समिति का गठन किया था. 5 जून को जारी हुई कमिटी की रिपोर्ट में ग्राहकों के स​र्विस स्टैंडर्ड को बढ़ाने के लिए कई सुझावों को अंडरलाइन किया गया है.

क्यों गठन करनी पड़ी समिति

भारतीय रिजर्व बैंक के पास कई ऐसे मामले सामने आए थे, जिसमें बैंक या कर्जदा​ओं की ओर से ग्राहकों के लोन दस्तावेज के गायब होने की सूचना थी या फिर उनके नुकसान की शिकायत थी. ऐसे में आरबीआई ने ग्राहकों के हितो के रक्षा के लिए बीपी कानूनगो की अध्यक्षता में इस कमिटी का गठन किया. अब इसे लेकर आरबीआई के पैनल ने जुर्माना लगाने का प्रस्ताव पेश किया है. साथ ही लोन चुकाने के बाद अकाउंट बंद करने और दस्तावेजों को वापस करने का प्रस्ताव पेश किया है.

दस्तावेज वापस करने में देरी पर जुर्माना!

समिति की ओर से यह भी सुझाव दिया गया है कि संस्थाओं को दस्तावेजों को वापस करने में ​देरी पर जुर्माना लगाया जा सकता है. मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक, एडवोकेट अंकित राजगढ़िया कहते हैं कि ग्राहक को प्रमाणित की हुई कॉपी लेने और खोए हुए दस्तावेजों के मामले में पर्याप्त मुआवजा प्रदान करने में सहायता का प्रस्ताव है. आरबीआई ने समिति की सिफारिशों पर 7 जुलाई तक टिप्पणियां मांगी है.

दस्तावेज वापस करने की समय सीमा

रिजर्व बैंक पैनल के सिफारिशों पर दस्तावेजों को वापस करने को लेकर कर्जदाताओं को एक समय ​सीमा दे सकता है. अगर इस समय सीमा के भीतर दस्तावेज ग्राहकों को नहीं दिए जाते हैं तो जुर्माना लगाया जा सकता है. रिजर्व बैंक के पैनल ने कहा कि ग्राहकों के दस्तावेजों को संभालकर रखने की जिम्मेदारी बैंकों या कर्जदाताओं की होती है. अगर ये ऐसा करने में विफल रहते हैं तो ये कार्रवाई के पात्र हैं.

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