मेरठ के एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज की सूरत बदलने वाली है। इसके लिए शासन ने 120 करोड़ रुपये जारी किए हैं। इससे स्टडी रूम बनेंगे, लेक्चर थियेटर, ओपीडी रूम बनाए जाएंगे, तीन हॉस्टल बनेंगे और करोड़ों रुपये के हाईटेक उपकरण आएंगे।यह सब कवायद करने का मकसद एमबीबीएस की 100 सीटें बढ़ाने की तैयारी है। इसके लिए मेडिकल पऱबंधन ने नेशनल मेडिकल काउंसिल (पहले एमसीआई) में आवेदन किया हुआ है।
मेडिकल कॉलेज में मेरठ के साथ-साथ पूरे पश्चिम उत्तर प्रदेश के मरीजों का इलाज यहां किया जाता है। यहां हर साल ओपीडी में सात लाख से ज्यादा मरीज आते हैं। तीन हजार से ज्यादा मरीज भर्ती होते हैं और 18 हजार से अधिक छोटे-बड़े आपरेशन किए जाते हैं।
साल 2019 में बेड के हिसाब से मरीजों की संख्या कम होने, चिकित्सकों कमी, पढ़ाई के संसाधन कम होने के कारण यहां की 50 एमबीबीएस की सीटें कम कर दी गई थीं। चार साल पहले तक यहां एमबीबीएस की 150 सीटें थीं, अब 100 हैं।
साल 2013 में हुई थीं 150 सीटें
मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की पहले 100 सीटें थीं। इन्हें बढ़ाकर साल 2013 में 150 कर दिया गया था। एमसीआई की टीमें तभी से मेडिकल कॉलेज को मानकों पर परख रही थीं, लेकिन हर बार बढ़ाई गई सीटों को लेकर खामियां रह जाती थीं। लिहाजा साल 2019 में एमसीआई (अब एनएमसी) के मानकों पर खरे न उतरने के कारण मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की 50 सीटों को कम कर दिया गया था।
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