नब्बे के दशक में शामली के अस्पताल में मरीजों को दवा बांटते-बांटते संजीव जीवा ने अपराध की राह पकड़ ली थी। पहले अपने ही साथी का अपहरण कर सनसनी फैला दी थी। हत्या, डकैती, जानलेवा हमले, संपत्ति कब्जाने की एक के बाद एक वारदात अंजाम दी।कुख्यात सतेंद्र बरवाला से लेकर मुखत्यार अंसारी के साथ काम किया।
भौराकलां-शामली मार्ग पर पड़ने वाले गांव आदमपुर से जीवा रोजाना शामली आता-जाता था। पहले शामली और फिर मुजफ्फरनगर में निजी डॉक्टर के यहां कपांउडर रहा। शामली में उसने अपने साथी का अपहरण कर फिरौती वसूली थी। साल 1995 में मुजफ्फरनगर के सिविल लाइन थाने हत्या का पहला मुकदमा दर्ज हुआ था।
इसके बाद उसकी नजदीकियां कुख्यात सतेंद्र बरवाला के साथ बढ़ी। देहरादून से दिल्ली लौट रहे कोलकाता के व्यापारी प्रतीक दीवान के खतौली के पास हुए अपहरण में जीवा को नामजद किया गया। जीवा ने अपराध की दुनिया में ऊंची उड़ान भरने की चाह से एक के बाद एक वारदात अंजाम दी। प्रॉपर्टी कब्जाने और ठेकेदारी के मामलों में जीवा के नाम की खूब गूंज हुई।
डॉक्टर का अपहरण कर देवबंद ले गया था जीवा
लखनऊ कोर्ट में कुख्यात संजीव जीवा की हत्या कर दी गई। संजीव जीवा का कनेक्शन सहारनपुर से भी रहा है। उसने मुजफ्फरनगर के डॉ. वेदभूषण का अपहरण कर उसे देवबंद में रखा था। तब, पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में दो बदमाश भी मारे गए थे।
बात वर्ष 1995 की है। कुख्यात संजीव जीवा तब सत्येंद्र बरवाला गैंग का सदस्य था। उसने मुजफ्फरनगर के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. वेदभूषण का अपहरण किया था। इसके बाद संजीव जीवा चिकित्सक को सहारनपुर के देवबंद में ले आया था। यहां पर संजीव जीवा ने इस्लाम के दो मंजिला मकान में डाक्टर को रखा था। उसने डाक्टर के परिजनों से दो करोड़ रुपये की फिरौती मांगी थी।
मुजफ्फरनगर पुलिस को जब इनपुट मिला कि संजीव जीवा ने डाक्टर को देवबंद रखा है तो पुलिस की स्पेशल टीम यहां पहुंची और इस्लाम के घर को घेर लिया था। संजीव जीवा के साथी डाक्टर की निगरानी कर रहे थे। इनकी पुलिस के साथ मुठभेड़ हो गई और दोनों बदमाश मारे गए थे। इसके बाद पुलिस ने डाक्टर सकुशल बरामद कर लिया था, जबकि संजीव जीवा पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ सका था।
कोलकाता के व्यापारी का भी किया था अपहरण
संजीव जीवा ने सहारनपुर से कोलकाता एक बड़े व्यापारी का कार सहित अपहरण कर लिया था। जीवा ने व्यापारी के कार चालक की हत्या कर शव को खतौली स्थित नहर में फेंक दिया था। इसके बाद व्यापारी के परिजनों से तीन करोड़ रुपये की फिरौती मांगी गई थी। बताते हैं कि तब एसएसपी ने पुलिस की करीब 15 टीमों को व्यापारी की सकुशल बरामदगी के लिए लगाया था। इसके बाद व्यापारी को जनपद शामली के कस्बा कैराना से बरामद किया गया था।
बदलते चले गए जीवा के पते
कुख्यात संजीव जीवा पहले आदमपुर और फिर मुजफ्फरनगर शहर के प्रेमपुरी में रहा। वर्तमान में उनका परिवार उत्तर पूर्वी दिल्ली में रहा है। आज भी स्थायी पते में आदमपुर का नाम ही दर्ज है।
रंगदारी का दर्ज हुआ आखिरी मुकदमा
शहर की कोतवाली नई मंडी में व्यवसायी मनीष गुप्ता ने संजीव जीवा, उसकी पत्नी पायल माहेश्वरी और गैंग के सदस्यों के खिलाफ 21 मई 2022 को दर्ज कराया था। इस मुकदमे में जीवा की संपत्ति को भी कुर्क कर लिया गया था।
अनिल ने जीवा से खरीदी थी एके-47
आधुनिक हथियारों के शौकीन संजीव जीवा का नाम पिछले साल एके-47 बेचने में भी आया था। भौराकलां क्षेत्र के गांव हड़ौली निवासी अनिल उर्फ पिंटू को शामली पुलिस ने पकड़ा गया था। उसके पास से एके-47 बरामद हुई थी। यह हथियार जीवा की ओर से बेचने की बात सामने आई थी।
अनिल ने पुलिस को बताया था उसके साथी अनिल बंजी को बागपत के कुख्यात धर्मेंद्र किरठल ने धमकी दी थी, जिसके बाद संजीव जीवा से संपर्क कर लगभग 11 लाख रुपये में यह हथियार खरीदे थे। हथियार छिपाने के लिए जाने के दौरान वह पकड़ा गया था।
मुजफ्फरनगर में संजीव जीवा पर दर्ज मुकदमे
- वर्ष 1995 में थाना सिविल लाइन थाने में हत्या, लूट व अपराध की साजिश रचना का मुकदमा।
- वर्ष 1995 में सिविल लाइन थाने में लूट का मुकदमा।
- वर्ष 1995 में सिविल लाइन थाना में रंगदारी का प्रयास का मुकदमा।
- वर्ष 1998 में शहर कोतवाली मुजफ्फरनगर लूट का मुकदमा।
- वर्ष 2001 में शहर कोतवाली मुजफ्फरनगर में चोरी का मुकदमा।
- वर्ष 2002 में खतौली थाने में डकैती व हत्या का मुकदमा।
- वर्ष 2002 में खतौली थाने में बलवा व जानलेवा का मुकदमा।
- वर्ष 2002 में खतौली थाने में गैंगस्टर एक्ट का मुकदमा।
- वर्ष 2003 में हत्या व डकैती का मुकदमा।
- वर्ष 2010 में गैंगस्टर एक्ट।
- वर्ष 2022 में नई मंडी में गैंगस्टर और रंगदारी
17 मुकदमों में दोषमुक्त हो गया था जीवा
कुख्यात संजीव जीवा 17 मुकदमों में दोषमुक्त हो गया था। गैंगस्टर के तीन मुकदमों में गवाही की प्रक्रिया चल रही है, जबकि एक मुकदमें में आजीवन कारावास की सजा हुई थी।
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