उत्तर प्रदेश को 'अपराध मुक्त बनाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जीरो टोलरेंस की नीति अपनाई है। जब से वह सत्ता में आए हैं, अपराधियों और माफियाओं के खिलाफ उनका रवैया सख्त रहा है।
उन पर शिकंजा कसने के लिए उठाए गए कदमों में बुलडोजर एक्शन और पुलिस एनकाउंटर योगी सरकार में सबसे ज्यादा चर्चा का विषय रहे हैं। पुलिस रिकॉर्ड्स से एक बात सामने आई है कि 2017 में योगी द्वारा यूपी की सत्ता संभालने के बाद से अभी तक 186 एनकाउंटर हुए हैं।
द इंडियन एक्सप्रेस ने यूपी पुलिस के रिकॉर्ड के हवाले से बताया कि यह हर 15 दिन में पुलिस एनकाउंटर में एक अपराधी की मौत को दर्शाता है। 186 पुलिस एनकाउंटर में 96 अपराधी ऐसे थे, जिन पर हत्या, गैंगरेप और पोक्सो एक्ट के तहत मामले चल रहे थे।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि 2016 से 2022 के बीच राज्य में अपराध के मामलों में गिरावट देखी गई। रिकॉर्ड्स के मुताबिक, इस दौरान, डकैती के मामले 82 फीसद तक कम हुए, जबकि हत्या के मामलों में भी 37 फीसद तक की कमी दर्ज की गई। वहीं, क्राइम एंड लॉ एंड ऑर्डर स्पेशल डीजी प्रशांत कुमार ने द इंडियन एक्सप्रेस को एक इंटरव्यू में बताया, "पुलिस एनकाउंटर कभी भी जघन्य अपराधों को नियंत्रित करने या कठोर अपराधियों पर नजर रखने की हमारी रणनीति का हिस्सा नहीं रहे हैं।"
रिकॉर्ड्स बताते हैं कि ज्यादातर एंनकाउंटर, जिनमें मौत हुई हैं, उन पर कभी सवाल नहीं उठाए गए। हर पुलिस एनकाउंटर में एक मजिस्ट्रियल जांच होती है। 161 मामलों में मजिस्ट्रियल जांच पूरी हो चुकी है और किसी की ओर से कोई आपत्ति जताए बिना इसका निपटारा कर दिया गया है।
मजिस्ट्रियल जांच में मजिस्ट्रेट को एनकाउंटर में शामिल पुलिसकर्मियों के बयान की जरूरत होती है और अगर कोई गवाही देना चाहता है या अपने स्वयं के निष्कर्षों पर रिपोर्ट प्रस्तुत करना चाहते हैं। हालांकि, मजिस्ट्रियल जांच रिपोर्ट के मुताबिक, 161 मामलों में से किसी में भी एनकाउंटर के खिलाफ कोई टिप्पणी दर्ज नहीं की गई।
इसके अलावा, हर एनकाउंटर के बाद एक और प्रक्रिया होती है, जिसमें मारे गए अपराधी के खिलाफ मामला दर्ज किया जाता है और कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करनी होती है। आधिकारिक रिकॉर्ड बताते हैं कि पुलिस ने 186 मुठभेड़ों में से 156 में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की है। इसमें संबंधित अदालतों ने अब तक 141 मामलों में इन्हें स्वीकार किया है और 15 लंबित हैं। रिकार्ड के मुताबिक, बाकी 30 मामलों में पुलिस जांच लंबित है।
मुठभेड़ के आंकड़ों की जांच से पता चला कि इनमें से लगभग एक तिहाई या 65 एनकाउंटर मेरठ जोन के तहत आने वाले जिलों में हुए हैं। वहीं, 20 एनकाउंटर वाराणसी और 14 आगरा में हुए। इसके अलावा, गोली लगने पर अपराधी घायल 'आपरेशन लंगड़ा' के रिकॉर्ड बताते हैं कि मार्च 2017 से अप्रैल 2023 के बीच मुठभेड़ के दौरान 5,046 अपराधियों के पैरों में गोली लगी थी। इसमें भी 1,752 के साथ मेरठ सबसे ऊपर है। प्रशांत कुमार से पूछा गया कि ऐसे मामले सबसे ज्यादा मेरठ में ही क्यों हुए, तो उन्होंने कहा, "पश्चिम यूपी परंपरागत रूप से क्राइम प्रोन रहा है।"
मार्च 2017 से अप्रैल 2023 तक राज्य में एनकाउंटर में 13 पुलिसकर्मी भी मारे गए और 1,443 घायल हुए। रिकॉर्ड के मुताबिक, मारे गए 13 पुलिसकर्मियों में से एक और घायल हुए 405 पुलिसकर्मी मेरठ क्षेत्र से हैं। प्रशांत कुमार ने कहा, "एनकाउंटर यूपी के लिए कोई अनोखी बात नहीं है। दुनिया भर में मुठभेड़ें होती हैं। यहां तक कि संयुक्त राज्य अमेरिका में भी 2022 में 1000 से अधिक पुलिस हत्याएं हुई थीं। वर्तमान व्यवस्था ने कानून और व्यवस्था के परिदृश्य को काफी हद तक बदल दिया है और यूपी को एक कानूनविहीन राज्य के बोझ से मुक्त कर दिया है। हाल ही में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में यूपी 14वें स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंच गया है।
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