सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने तमिलनाडु सरकार को फिल्म की स्क्रीनिंग और फिल्म देखने वालों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी व्यवस्था करने का भी निर्देश दिया। कहा कि कानून व्यवस्था संभालना राज्य सरकारों का जिम्मा है।
अब जुलाई में होगी प्रतिबंध को लेकर सुनवाई
फिल्म पर प्रतिबंध लगाने वाली याचिकाओं पर अब जुलाई में सुनवाई होगी। अदालत ने संकेत दिया कि उसे फिल्म देखनी पड़ सकती है, क्योंकि मद्रास हाईकोर्ट पहले ही केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) प्रमाणन को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर चुका है।
तीन जजों की बेंच ने की सुनवाई
इस पूरे मामले की सुनवाई सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारीदवाला ने की। फिल्म निर्माताओं की तरफ से वरिष्ठ अधिकवक्ता हरीश साल्वे पेश हुए। फिल्म निर्माताओं ने बंगाल सरकार के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। वहीं फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने के लिए पत्रकार कुर्बान अली ने याचिका दाखिल की है। उन्होंने केरल हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी है। फिल्म पर रोक लगाने के लिए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और कलीश्वर ने दलीलें रखीं।
अदालत ने कहा- डिस्क्लेमर लगाएं
अदालत ने कहा कि कानून का इस्तेमाल सार्वजनिक असहिष्णुता को बढ़ावा देने के लिए नहीं किया जा सकता है, वरना सभी फिल्मों को लेकर ऐसी ही स्थिति पैदा होगी। सुप्रीम कोर्ट ने निर्माताओं को निर्देश दिया कि डिस्क्लेमर लगाएं कि 32 हजार लड़कियों के गायब होने का आंकड़ा पुख्ता नहीं है। वकील साल्वे ने कहा कि 20 मई की शाम पांच बजे तक डिस्क्लेमर जोड़ा जाएगा।
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