" जब व्यक्ति पर किसी तरह की मज़बूरी डाली जाती हैं या जरूरत से ज्यादा अपनों के द्वारा सताया जाता हैं तो वह मनोग्रसित हो कर ज़्यादा विचार करने लगता हैं और एक ही काम को बार बार दोहराने पर मजबूर हो जाता हैं इससे वह लम्बे समय तक चिन्ता करने से डिप्रेशन यानि अवसाद में चला जाता हैं उसे ही ओसीडी या जुनूनी बाध्यकारी विकार कहते हैं ।" इसमें अपनों के द्वारा ही सताए जाने से बिना वजह के विचार और भय उत्पन्न होते हैं जो बाध्यकारी व्यवहार में बदल कर कहीं बार जुनूनी हरकत में बदल जाते हैं । ऐसा मानना है कि इसे समानायता ठीक नहीं किया जा सकता । यह मानसिक बीमारी लंबे समय तक सालों तक या सारी ज़िंदगी रह सकती है । इसमें कई बार ऑब्सेशन होता है और व्यवहार में कंपल्शन भी आ जाता है।
इसका मुख्य कारण __यह ज्यादा विचारों के आने से व्यक्ति का बायोलॉजिकल और न्यूरोट्रांसमीटर्स का बैलेंस बिगड़ जाने की वजह से होता है ।
ओ सी डी के क्या लक्षण हो सकते हैं __
चीजों को बार बार गिनना, बार-बार हाथ धोना, बार-बार साफ सफाई करना, एक ही चीज को देखते रहना आदि चीजें करना शुरू कर देते हैं। अनिद्रा की समस्या हो जाना, डिप्रेशन, एंग्जाइटी आदि के लक्षण भी नजर आ सकते हैं।
एक तरह का चिन्ता विकार है। इस विकार से ग्रसित व्यक्ति एक ही चीज की बार-बार जाँच करने की आवश्यकता अनुभव करता है, कुछ विशेष कामों को बार-बार करता है जैसे_ बार-बार हाथ धोना , या कुछ विचारों को बार बार दोहराना।
यूनानी चिकित्सा __
जुनूनी बाध्यकारी विकार का हर्बल यूनानी चिकित्सा में पूर्णतया ईलाज हैं जिसमें पहले दवा ज्यादा होती हैं बाद में धीरे धीरे उसे कम करके बन्द कर दी जाती हैं। यूनानी दवाओं का व्यक्ति आदि भी नहीं होता हैं । जैसे कुछ यूनानी दवाईयां दवा उल शिफा, माजून नजाह, गोली जुंद आदि दी जाती हैं । जबकि अन्य चिकित्सा में व्यक्ति उन दवाओं का आदि हो जाता हैं बाद में उन दवाओं को बन्द करना मुश्किल हो जाता हैं।
डॉ. लियाकत अली मंसूरी
(न्यूरो यूनानी चिकित्सक एवं हिज़ामा स्पेशियलिस्ट)
गवर्नमेंट यूनानी डिस्पेंसरी
देवली, टोंक (राज)
MO _9414326317
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