आने वाला समय मीडिया के लिए चुनौती होगा। केवल सत्य ही मीडिया का साथ देगा, क्योंकि यह नैरेटिव की लड़ाई है। यहां पर समाज को देखने के लिए प्रेरित किया जाता है। मीडिया और डॉक्टर का समाज में एक ही प्रकार है। सूचना का अंबार होने के कारण वह समाज को दिग्भ्रमित करने का काम कर रहा है। ये बातें तिलक पत्रकारिता एवं जनसंचार स्कूल और विश्व संवाद केंद्र मेरठ के संयुक्त तत्वधान में हिंदी पत्रकारिता दिवस नारद जयंती पर आयोजित बुधवार को कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि इंदिया गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सचिव प्रोफेसर सच्चिदानंद जोशी ने कही।
वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार, शिक्षाविद, कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के दो बार कुलपति, भारतीय संसद के नक्शे एवं इसमें सिंगोल स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभारने वाले प्रोफेसर सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि जिस प्रकार समाज में चिकित्सक का सम्मान है, उसी प्रकार से पत्रकारों का सम्मान मिलना चाहिए। पत्रकारिता को सम्मान के लिए अत्यंत उपयोगी बताते हुए कहा कि समाज का दर्पण सशक्त होना चाहिए। पत्रकारिता अन्य कार्याे की तरह 10 से पांच बजे की नौकरी की और फिर जिम्मेदारी समाप्त, पत्रकारिता 24 गुणा 7 की जिम्मेदारी है। लिखे हुए शब्द वाक्य और बोल की जो कीमत है, वह कहीं भी नहीं है। पत्रकारिता की नौकरी चौबीस घंटे की है। यह मिशनरी प्रोफेशन है। यह केवल धन अर्जन करने का काम नहीं, बल्कि समाज को दिशा देने की जिम्मेदारी है। मीडिया पर समाज का विश्वास आज भी है, इसलिए यह केवल डिग्री नहीं है, बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है।
कार्यक्रम में प्रिंट मीडिया से रोहताश सिंह, फोटोग्राफर ज्ञानेश्वर सिंह, सोशल मीडिया से अविनाश त्रिपाठी, मीडिया शिक्षक लव कुमार सिंह, प्रोत्साहन पुरस्कार पत्र लेखन में नरेंद्र सिंह टोंक और यूट्यूब से सावन कन्नौजिया को सम्मानित किया गया।
आरएसएस के मेरठ प्रांत प्रचार प्रमुख सुरेंद्र सिंह ने कहा कि 30 मई 1926 को हिन्दी साप्ताहिक उदंड मार्तंड प्रकाशित हुआ था। हमारे देश में संस्कृति की विशेषता यह है कि हर क्षेत्र का अपना एक आराध्य या आदर्श व्यक्ति होता है। नारद जी हिंदी पत्रकारिता के आराध्य माने जाते हैं। नारद जी की छवि फिल्मों में विदूषक के रूप में प्रदर्शित की जाती है जो की पूरी तरह गलत है। नारद जी ने शासन और प्रशासन कैसा हो, इसका भी ज्ञान दिया। उनका कहना था कि राजा के गुप्तचर सैनिक कैसे हो, इसका राजा को ख्याल रखना चाहिए। जो राजा अधिक कर वसूल करता है, समाज की दृष्टि उसे नहीं देखती। उन्होंने कहा कि संवाद की परंपरा का नाम नारद है। संवाद के काम को करने वाला ही नारद कहलाए। पत्रकार को निष्पक्ष होना चाहिए। लोकहित के काम करना ही पत्रकारिता का मुख्य उद्देश्य है।
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के कला संकाय अध्यक्ष प्रोफेसर नवीन चंद्र लोहनी ने कहा कि 30 वर्षों में पत्रकारिता की छटा बदली है। समाचारों का एकत्रीकरण प्रस्तुतीकरण का तरीका भी बदल गया है। सोशल मीडिया सामाजिक राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय फलक पर अपनी पहचान बना रहा है। यही पत्रकारिता का बदलता हुआ स्वरूप हैं मिशन से निकलकर प्रोफेशन से होती हुई पत्रकारिता आज बाजार पर नियंत्रण ही नहीं, वरन उसका संचालन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। महापौर हरिकांत अहलूवालिया ने कहा कि भारतीय संस्कृति की विरासत को लोगों तक पहुंचाने में पत्रकारिता महत्वपूर्ण भूमिका निर्वहन कर रही हैं पत्रकारिता के संवाहकों को ऐसे प्रयास करने चाहिए वे उच्च मानदंड स्थापित करते हुए समाज और देश को दिशा देने में सफल हो सके।
तिलक पत्रकारिता एवं जनसंचार स्कूल के निदेशक प्रोफेसर प्रशांत कुमार ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन छात्र कपिल तथा छात्रा दीक्षा धामा ने किया। इस अवसर पर विश्व संवाद न्यास के अध्यक्ष श्याम बिहारी, लोक गायिका नीता गुप्ता, प्रो. रूपनारायण, डॉ. मनोज श्रीवास्तव, डॉ. यश्वेंद्र वर्मा, डॉ. नीरज सिंघल, डॉ. अश्वनी शर्मा, नेहा कक्कड़, शरद व्यास, संजीव गर्ग, सुमंत कुमार, विशाल शर्मा, राजन कमार, पंकज कुमार आदि मौजूद रहे।
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