UP Nikay Chunav Result 2023: उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव के परिणाम आ चुके हैं। इस चुनाव में सबसे अधिक झटका बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती को लगा है। मायावती खुद तो प्रचार करने के लिए बाहर नहीं निकली साथ ही उनकी पार्टी के बड़े नेताओं ने भी प्रचार से दूरी बनाए रखी जिसका असर कार्यकर्ताओं के मनोबल पर पड़ा।इन बातों को लेकर बसपा के नेता प्रशांत गौतम ने मंगलवार को मायावती को पत्र लिखकर अपनी नाराजगी भी जाहिर की थी। पार्टी के अंदर से उठ रहे विरोध के सुर के बीच गुरुवार को संगठन की अहम बैठक बुलाई गई है जिसमें आगमी 2024 के लोकसभा की रणनीति के साथ ही निकाय चुनाव में हुई हार की वजहों पर भी मंथन किया जाएगा।
बैठक में कई अहम मुद्दों पर होगी चर्चा
बसपा के सूत्रों की माने तो गुरुवार की बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है। इसमें 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव, कनार्टक के चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन पर भी मंथन किया जाएगा। सबसे बड़ा फोकस इस बैठक में निकाय चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन को लेकर रहेगा। बसपा का निकाय चुनाव में प्रदर्शन बेहद खराब रहा है। मायावती की पार्टी ने 2017 में जीती मेरठ और अलीगढ़ की दो सीटें भी हार गई जिसका काफी गलत मैसेज गया और कार्यकर्ताओं पर विपरित असर पड़ा है।
निकाय चुनाव नतीजों को लेकर गुरुवार को बसपा की बैठक
हालांकि इस बीच, यूपी में शनिवार को शहरी स्थानीय निकाय चुनावों के नतीजे घोषित होने के बाद से यह दूसरी बार है कि बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने बुधवार को राज्य में सत्ताधारी पार्टी जो कि बीजेपी है को आधिकारिक मशीनरी के दुरुपयोग के लिए दोषी ठहराया। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर रणनीति बनाने के लिए उन्होंने गुरुवार को लखनऊ में राज्य स्तरीय बैठक बुलाई है।
नतीजों को लेकर बीजेपी पर साध रहीं निशाना
नतीजे घोषित होने के एक दिन बाद रविवार को अपने ट्वीट में मायावती ने कहा था कि राज्य में निकाय चुनाव निष्पक्ष तरीके से नहीं कराए गए। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा था कि अगर ऐसा होता तो पूरी तरह से अलग तस्वीर होती, अगर बैलेट पेपर के जरिए चुनाव कराए जाते तो बसपा भी मेयर पद की सीट जीत जाती।
बीजेपी ने राजनीतिक स्वार्थ के लिए खेला धार्मिक कॉर्ड
उन्होंने बुधवार को ट्वीट्स की एक श्रृंखला में अपना रुख दोहराया और कहा कि भाजपा ने अपनी जनविरोधी नीतियों और गलत प्रथाओं को कवर करने के लिए आधिकारिक मशीनरी (चुनाव जीतने के लिए) का दुरुपयोग किया। उन्होंने भाजपा पर स्वार्थी राजनीतिक हितों के लिए धार्मिक कार्ड खेलने का भी आरोप लगाया। पार्टी भाजपा की जनविरोधी नीतियों से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करेगी और अगले साल लोकसभा चुनाव की तैयारी अभी से शुरू कर देगी।
17 मेयर सीटों पर बीएसपी बुरी तरह हारी
राज्य की 17 में से मेयर पद की एक भी सीट बसपा को नहीं मिली। पार्टी, वास्तव में, अलीगढ़ और मेरठ की दो सीटें हार गई थी, जो उसने यूपी में 2017 के स्थानीय शहरी चुनावों में जीती थी। इस बार राज्य में मेयर पद की सभी सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है।
11 मुस्लिमों को टिकट देने का दांव भी नहीं चला
इस बार के निकाय चुनाव में बसपा ने चुनाव में 11 मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था और बाकी सीटों पर उसने पुराने नेताओं पर दांव लगाया था। हालांकि, यह रणनीति पार्टी के काम नहीं आई। हालांकि पार्टी के अंदर से इस बात पर भी संग्राम मचा हुआ है कि जब इतने बड़ी संख्या में मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिए गए तो इन जगहों पर बसपा के मुस्लिम नेता प्रचार के लिए क्यों नहीं उतरे।
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