पटना हाईकोर्ट के फैसले को नजरअंदाज कर जब्त सामान को नहीं छोड़ना मद्यनिषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव और सीतामढ़ी के विशेष उत्पाद जज- 2 को महंगा पड़ गया। उनके खिलाफ अवमानना मामला दर्ज करने का आदेश हाईकोर्ट ने दिया है।मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति के विनोद चन्द्रन और न्यायमूर्ति मधुरेश प्रसाद की खंडपीठ ने मेरठ की जीनेथ कंपनी की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई के बाद जब्त सामान को छोड़ने और दोनों आला अधिकारियों के खिलाफ अवमानना अर्जी दर्ज करने का आदेश दिया।
आवेदक के अधिवक्ता रोहित सिंह ने कोर्ट को बताया कि अस्पतालों में इस्तेमाल होने वाले सामान को मेरठ के ट्रांसपोर्टर के यहां बुक कराया गया। ट्रांसपोर्टर ने ट्रक से बुक सामान को असम भेजा। बिहार के सीतामढ़ी के रास्ते जब ट्रक जा रहा था तो उत्पाद विभाग के अधिकारियों ने उसकी जांच की। अधिकारी ने जो प्राथमिकी दर्ज की है उसके अनुसार ट्रक में जांच के दौरान दो हजार लीटर से ज्यादा विदेशी शराब जब्त की गयी। इस दौरान ट्रक के ड्राइवर और खलासी भागने में कामयाब रहे। बुक सामान को छोड़ने के लिए हाईकोर्ट में एक अर्जी दायर की गई थी। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अस्पताल में इस्तेमाल होने वाले सामान को उत्पाद कानून के तहत जब्त नहीं किया जा सकता।
सीतामढ़ी के विशेष उत्पाद जज को जब्त सामान को छोड़ने के बारे में कानून के तहत आदेश जारी किया। कोर्ट के आदेश के आलोक में आवेदक ने अर्जी दायर की, लेकिन विशेष उत्पाद जज ने उसे खारिज कर दिया। इसके बाद आवेदक ने उत्पाद आयुक्त के समक्ष अपील दायर की। आयुक्त ने भी अपील को खारिज कर दिया। इस आदेश की वैधता को अपर मुख्य सचिव के समक्ष रिवीजन दायर कर चुनौती दी गई। अपर मुख्य सचिव ने ने भी जब्त सामान को छोड़ने से इंकार करते हुए उसे नीलाम करने का आदेश दिया।
अपर मुख्य सचिव के आदेश सहित अन्य अधिकारियों के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले पर सुनवाई कर जब्त सामान को छोड़ने और हाईकोर्ट के आदेश को नहीं मानने को लेकर अपर मुख्य सचिव और सीतामढ़ी के विशेष उत्पाद जज-2 के खिलाफ अवमानना मामला दर्ज करने का आदेश हाईकोर्ट प्रशासन को दिया है।
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