मोदी ने कहा, ''आज हमने राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की को सुना। कल मेरी उनसे मुलाकात भी हुई थी। मैं वर्तमान परिस्थिति को राजनीति या अर्थव्यवस्था का मुद्दा नहीं मानता। मेरा मानना है कि यह मानवता का मुद्दा है, मानवीय मूल्यों का मुद्दा है। हमने शुरू से कहा है कि संवाद और कूटनीति ही एकमात्र रास्ता है।''
उन्होंने कहा, ''और इस परिस्थिति के समाधान के लिए, भारत से जो कुछ भी बन पड़ेगा, हम यथासंभव प्रयास करेंगे।'' प्रधानमंत्री ने भगवान बुद्ध का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत और जापान में हजारों वर्षों से भगवान बुद्ध का अनुसरण किया जाता है तथा आधुनिक युग में ऐसी कोई समस्या नहीं है, जिसका समाधान हम बुद्ध की शिक्षाओं में न खोज पाएं।
मोदी ने कहा, ''यह जरूरी है कि सभी देश संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतरराष्ट्रीय कानून और सभी देशों की सम्प्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करें। यथास्थिति को बदलने की एकतरफा कोशिशों के खिलाफ मिलकर आवाज उठाएं।'' उन्होंने कहा कि भारत का हमेशा यह मत रहा है कि किसी भी तनाव, किसी भी विवाद का समाधान शांतिपूर्ण तरीके से, बातचीत के ज़रिये किया जाना चाहिए और अगर कानून से कोई हल निकलता है, उसे मानना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इसी भावना से भारत ने बांग्लादेश के साथ अपनी भूमि और नौवहन सीमा विवाद का हल किया था। उन्होंने कहा कि वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि हम सब का साझा उद्देश्य है तथा एक-दूसरे से जुड़े आज के विश्व में किसी भी एक क्षेत्र में तनाव सभी देशों को प्रभावित करता है।
मोदी ने कहा, ''विकासशील देशों के पास सीमित संसाधन हैं, और वे ही सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। वर्तमान वैश्विक स्थिति के चलते खाद्य, ईंधन और उवर्रक संकट का अधिकतम तथा सबसे गहरा प्रभाव इन्हीं देशों को भुगतना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि दुनिया आज जिस युद्ध, अशांति और अस्थिरता को झेल रही है, उसका समाधान बुद्ध ने सदियों पहले ही दे दिया था। मोदी अपने जापानी समकक्ष फुमियो किशिदा के निमंत्रण के बाद जी-7 शिखर सम्मेलन के तीन सत्रों में हिस्सा लेने के लिए शुक्रवार को हिरोशिमा पहुंचे थे।जी-7 देशों में जापान, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा, इटली और यूरोपीय संघ (ईयू) शामिल हैं।
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