यह बातें गुड्डू की बड़ी बहन नसरीन ने बताईं, जो शिवकुटी के लाला की सराय में रहती हैं। नसरीन ने बताया कि उसका पैतृक घर सुल्तानपुर के गोसाईगंज स्थित इकटौली गांव में है। मां शाजिदा बेगम जबकि पिता का नाम शफीक था। वह बताती हैं कि गुड्डू पांच भाई बहनों में सबसे छोटा था। 1975 में वह पैदा हुआ था। गुड्डू के अलावा दो भाई और थे जिनमें से एक की मौत हो चुकी है जबकि, दूसरा असलम सऊदी अरब में रहता है। उसके अलावा एक बहन भी है जिसका नाम परवीन है।
नसरीन ने बताया कि पिता राजगीर का काम करते थे लेकिन बीमारी की वजह से काम धंधा ठीक नहीं चलता था। गुड्डू बचपन से ही बिगड़ैल था। उसकी संगत सही नहीं थी। रोकने-टोकने पर लड़ने लगता था। मारपीट, लड़ाई-झगड़े में अक्सर उसका नाम आता था। एक बार चोरी में भी नाम आया। परिवारवालों का रोकना-टोकना उसे अच्छा नहीं लगता था और 13 साल की उम्र में उसने घर छोड़ दिया। नसरीन का दावा है कि इसके बाद गुड्डू ने घरवालों से कभी कोई संपर्क नहींं किया। यहां तक कि मां-बाप के इंतकाल पर उन्हें मिट्टी देने भी नहीं आया।
पुलिस आई थी, पूछताछ कर चली गई
नसरीन ने बताया कि उमेश पाल हत्याकांड के बाद पुलिस उसे खोजते हुए आई थी। उसके बारे में पूछा और इस बात की भी जानकारी ली कि वह किसके संपर्क में है। घरवालों ने बताया कि पिछले कई सालों से उससे कोई संपर्क नहीं है। इसके बाद पुलिस लौट गई।
1999 में अतीक ने कराई थी जमानत
उधर गुड्डू के बारे में यह भी पता चला है कि 1999 में गोरखपुर में वह नारकोटिक्स मामले में जेल भेजा गया था। इस मामले में उसे सजा भी हुई। लेकिन अतीक अहमद ने हाईकोर्ट से उसकी जमानत करा ली थी। इसके बाद से ही वह अतीक से जुड़ गया। उसके अतीक के संपर्क में आने को लेकर कई तरह की कहानियां हैं जिनमें से एक यह है कि गोरखपुर का एक कुख्यात बदमाश अतीक के संपर्क में था। उसके जरिए ही गुड्डू मुस्लिम का अतीक से संपर्क हुआ।
65 दिन से पुलिस को छका रहा है गुड्डू
गुड्डू मुस्लिम 65 दिन से पुलिस को छका रहा है। उसकी तलाश में स्थानीय पुलिस से लेकर एसटीएफ की टीमें देश भर में दबिश दे रही हैं। नासिक से लेकर ओडिशा तक उसके हर संभावित ठिकानों पर छापा मारा जा चुका है। लेकिन वह अब तक हाथ नहीं आया है। उसे आखिरी बार उमेश पाल की हत्या के बाद आठ दिन बाद पांच मार्च को मेरठ में अतीक के बहनोई अखलाक के घर देखा गया था।
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