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बुधवार, 29 मार्च 2023

'जेपीसी जांच हुई तो अडानी नहीं,मोदी जी डूबेंगे,' विधानसभा में बोले अरविंद केजरीवाल

CM Arvind Kejriwal In Delhi Assembly: दिल्ली विधानसभा के बजट सत्र में मंगलवार को अडानी मामले को लेकर सदन में एक संकल्प पत्र रखा गया, जिसे चर्चा के बाद पारित कर दिया गया. संकल्प पत्र का समर्थन करते हुए सीएम अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी के एक बड़े नेता के साथ हुई चर्चा का जिक्र करते हुए कहा कि अडानी तो मात्र फ्रंट पर है, सारा पैसा मोदी जी का लगा है. अडानी सिर्फ पैसे को मैनेज करता है. सीएम केजरीवाल ने कहा कि अगर जेपीसी जांच हो गई तो अडानी नहीं, मोदी जी डूबेंगे, इसलिए प्रधानमंत्री हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद भी अडानी को बचाने में लगे हुए हैं. उन्होंने कहा कि मोदी जी कम पढ़े-लिखे हैं. उनको अडानी बताता है कि पैसा कहां लगाना है. 2014 में अडानी की संपत्ति 50 हजार करोड़ की थी और सात साल में बढ़कर 11.50 लाख करोड़ रुपए हो गई है. मोदी जी दोनों हाथों से देश को लूट रहे हैं. इन्होंने कांग्रेस से 10 गुना ज्यादा मात्र 7-8 साल में लूट लिया. अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मुझे लगता है कि आजादी के बाद सबसे भ्रष्ट प्रधानमंत्री अगर कोई हुआ है, जिन्होंने देश को इतना लूट है तो वो मौजूदा प्रधानमंत्री हैं. सीएम केजरीवाल ने कहा कि एक बीजेपी नेता ने मुझे एक-एक कर सारी बातें बताई. यह सब सुनकर पहले तो मैं बहुत हैरान रहा कि ये कह क्या कह रहा है कि अडानी ग्रुप के अंदर सारा पैसा मोदी जी का लगा है. फिर धीरे-धीरे उसने सभी बातें खुलकर समझाई. उसने बताया कि मोदी जी श्रीलंका गए, वहां के राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे हैं. मोदी जी ने राजपक्षे के ऊपर दबाव डालकर श्रीलंका का विंड प्रोजेक्ट अडानी को दिलवाया. उन्होंने असल में अडानी को प्रोजेक्ट नहीं दिलवाया, बल्कि खुद लिया. वो अडानी का प्रोजेक्ट नहीं है, मोदी जी का प्रोजेक्ट है. ये बात श्रीलंका के बिजली बोर्ड से बाहर आई. जैसे हमारे देश में लोकसभा-विधानसभा की स्टैंडिंग कमेटी है, वैसे ही श्रीलंका में भी संसद की स्टैंडिंग कमेटी होती है. जब श्रीलंका की संसद की स्टैंडिंग कमेटी ने बिजली बोर्ड के चेयरमैन को बुलाकर पूछा कि आपने ये प्रोजेक्ट अडानी को क्यों दिया? तो उसने कहा कि राष्ट्रपति राजपक्षे ने मुझे बुलाया था, उन्होंने कहा कि मोदी जी मेरे ऊपर बहुत दबाव डाल रहे है कि ये प्रोजेक्ट अडानी को दो. मोदी जी बांग्लादेश गए. बांग्लादेश वालों को 25 साल के लिए 1500 मेगावॉट बिजली खरीदनी थी. मोदी जी ने वो प्रोजेक्ट भी अडानी को दिलवा दिया. उन्होंने अडानी को नहीं दिलवाया, मोदी जी ने वो प्रोजेक्ट खुद लिया. मोदी जी इजराइल गए. इजराइल के साथ भारत ने कई सारे रक्षा सौदे किए. वो सारे रक्षा सौदे अडानी को दे दिए. उन्होंने अडानी को नहीं दिए, मोदी जी ने खुद लिए. उन्होंने कहा कि दो-तीन साल पहले देश में 6 एयरपोर्ट की नीलामी हुई. सरकार ने निजीकरण के लिए इन एयरपोर्ट की नीलामी की, ताकि प्राइवेट प्लेयर आकर इन्हें खरीद सके. उसमें एक शर्त रखी गई कि यह एयरपोर्ट उसी प्राइवेट कंपनी को दिए जाएंगे, जिसने पहले एयरपोर्ट का काम कर रखा है. यह नियम हर सरकारी ठेका उठाते समय रखा जाता है. जैसे जिस ठेकेदार को सड़क बनाने का तजुर्बा है उसी को ठेका दिया जाएगा. पानी का वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाते हैं तो हम कहते हैं कि जिसे डब्ल्यूटीपी लगाने का अनुभव है उसी को ठेका दिया जाएगा. हम सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाते हैं तो यही कहते हैं कि जिसको इस काम में 15 साल का अनुभव है उसी को ठेका देंगे. ठीक इसी तरह सरकार ने इसमें भी यही शर्त रखी थी कि जिसको इतने साल एयरपोर्ट चलाने का अनुभव है उसी को काम दिया जाएगा. अब अडानी ने तो यह काम कर नहीं रखा था, तो क्या करते? इसलिए आखिर मौके पर यह शर्त हटा दी गई कि एयरपोर्ट चलाने के अनुभव की कोई जरूरत नहीं है. छह एयरपोर्ट की नीलामी होनी थी और सभी 6 एयरपोर्ट अडानी को दे दिए. अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाते हुए कहा कि अडानी को नहीं दिए, मोदी जी ने खुद 6 एयरपोर्ट अपने नाम कर लिए. नवंबर 2021 में यह एयरपोर्ट टेकओवर किए गए, 2023 तक डेढ़ साल हुआ है. डेढ़ साल के अंदर आज पूरे देश के अंदर एयरपोर्ट का जितना भी बिजनेस हैं उसका 30 फीसद बिजनेस वो मोदी जी के पास है. इतना बड़ा भारत देश है, जिसमें इतने सारे एयरपोर्ट हैं. उसमें से 30 फीसद एयरपोर्ट का बिजनेस आज मोदी जी के पास है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि ईडी-सीबीआई का इस्तेमाल करके लोगों के सिर पर बंदूक रखकर उनकी कंपनियां छीनी जा रही हैं. 10 अक्टूबर 2018 को कृष्णापट्टनम पोर्ट के ऊपर इनकम टैक्स की रेड हुई. डेढ़ साल बाद 6 अप्रैल 2020 को वो पूरा पोर्ट अडानी ने खरीद लिया. वो अडानी ने नहीं खरीदा वो मोदी जी के पास चला गया. 10 दिसंबर 2020 को एसीसी और अंबुजा सीमेंट पर छापेमारी हुई. दो साल बाद 16 अक्टूबर 2022 को दोनों सीमेंट प्लांट मोदी जी के पास चले गए. मुंबई एयरपोर्ट का मालिक जीवीके ग्रुप था. जुलाई 2020 को उसके ऊपर ईडी-सीबीआई की रेड हुई, एफआईआर हुई. इसके एक महीने बाद मुंबई एयरपोर्ट अडानी और मोदी जी के पास चला गया. ये ईडी-सीबीआई से रेड कराते हैं, कंपनी वालों को धमकाते हैं कि या तो तुम जेल जाओ या फिर अपनी फैक्ट्री-कंपनी हमको दे दो. पूरे देश के अंदर इतनी गुंडागर्दी मची पड़ी है कि ईडी-सीबीआई की रेड करवा देते हैं. सिर पर बंदूक रख देते हैं और कहते हैं कि या तो फैक्ट्री दे दो या फिर जेल जाओ. आखिर इस देश के अंदर चल क्या रहा है? मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इन्होंने थोड़े दिन पहले एक ऑर्डर निकाला कि जितने पावर प्लांट हैं. जितनी राज्य सरकारें हैं उनको जितनी भी कोयले की जरूरत है, उसमें से 10 फीसदी कोयला आयातित (इम्पोर्टेड) इस्तेमाल करना पड़ेगा. पंजाब में हमारी सरकार है, वहां भी यह आदेश पहुंचा. कोयले का इम्पोर्ट केवल अडानी-मोदी जी करते थे. तो इसका मतलब राज्य सरकारों को अनिवार्य रूप से 10 फीसद कोयला अडानी से खरीदना पड़ेगा. हमारे देश के कोयले की कीमत 2 हजार रुपए टन हैं, जबकि इम्पोर्टेड कोयले की कीमत 20 हजार रुपए टन है. 10 गुना अधिक दामों के ऊपर कोयला अडानी से यानी मोदी जी से खरीदना पड़ेगा. जब हमारे देश में कोयला घोटाला हुआ था, तब सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश दिया था कि अपने देश में कोयले की खदानें अब किसी भी प्राइवेट वाले को नहीं दी जाएंगी. सारी खदान सरकार के पास रहेंगी. इन्होंने कुछ कोयले की खदान राजस्थान सरकार, छत्तीसगढ़ सरकार, पंजाब सरकार राज्य सरकारों में बांट दी. पूरे देश में केवल राज्य सरकारों के पास कोयले की खदानें हैं, लेकिन अडानी के केस में उन्होंने एक्सेप्शन (अपवाद) करके कोयले की खदान अडानी को दे दी. उसमें भी आदेश दे दिया कि 4 हजार कैलोरी से कम वाला कोयले को रिजेक्टिड माल माना जाएगा. जबकि वो सबसे अच्छा कोयला माना जाता है. अब वो रिजेक्टेड कोयला अडानी को फ्री में मिलता है. देश की खदानों से कम से कम हर साल 2800 करोड़ रुपए का कोयला मोदी जी फ्री में ले जा रहे हैं. मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि 2014 में अडानी जी यानी मोदी जी की जायदाद 50 हजार करोड़ रुपए की थी. 7 साल बाद इनकी जायदाद 11.50 लाख करोड़ रुपए हो गई. मोदी जी इतना पैसे लेकर कहां जाओगे? 7 साल में आपने देश को इतना लूट लिया. 2014 में दुनिया के सबसे अमीर लोगों की लिस्ट में अडानी 609 नंबर पर थे, अब ये दुनिया के दूसरे सबसे अमीर आदमी बन गए. अब आगे ये सबसे अमीर आदमी बनना चाहते हैं, लेकिन कुदरत बड़ी ताकतवर है. किसने सोचा था कि एक दिन हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आएगी और 24 घंटे के अंदर सारा तहस-नहस हो जाएगा. 1947 से लेकर 2014 तक 67 साल में भारत देश में जितनी भी सरकारे आई, उन सबने मिलकर भारत सरकार के लिए 55 लाख करोड़ रुपए का कर्जा लिया था. 2014 से 2022 तक 7 साल में अंदर 85 लाख करोड़ रुपए का कर्जा ले लिया, दोगुने से भी ज्यादा. जितना 67 साल में लिया था उतना 7 साल में कर्ज ले लिया. आखिर ये पैसा कहां गया? ये सारा इनकी जेब में गया. मैं जनता से कहना चाहता हूं कि आप अपने बच्चों का पेट काटकर जीएसटी और टैक्स देते हो. दूध-दही हर चीज पर जीएसटी देते हो, उस जीएसटी का पैसा जनता के खजाने में जाता है. वहां से यह पैसा अडानी के खजाने में जाता और फिर वहां से वो पैसा मोदी जी के खजाने में जाता है. अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दोनों हाथों से लूट मची हुई है, प्रधानमंत्री मोदी जी पूरे देश को लूट रहे हैं. कोयला, एयरपोर्ट, सड़कें, बिजली, पानी सब लूट रहे हैं, इन्होंने कुछ नहीं छोड़ा. जितना कांग्रेस ने 75 साल में नहीं लूटा उससे 10 गुना इन्होंने 7-8 सालों के अंदर देश को लूट लिया. दिल्ली के सीएम मे कहा किमोदी जी कम पढ़े-लिखे हैं, उन्हें समझ नहीं है कि क्या करना है. अडानी उन्हें आकर बताता है, यहां पैसा लगा लो, इस देश में चलते हैं वहां कि ये कंपनी खरीद लेते हैं. ईडी-सीबीआई को इसके पीछे लगा लो. वो सारा मैनेजमेंट करता है, सारा दिमाग उसका और पैसा मोदी जी का. उसके बदले में उसको पता नहीं कितनी 10, 15 या 20 फीसद कितनी कमीशन मिलती है. उन्होंने कहा कि मुझे ज्यादा चिंता इस बात की है कि प्रधानमंत्री जी कम पढ़े-लिखे हैं, उनको कम समझ में आता है. लोग आकर उनको कुछ न कुछ कहते हैं. विदेश से कोई भी नेता आता है या ये विदेश जाते हैं, तो दो ही कंडीशन (स्थिति) होती है. एक तो उसको कहते हैं कि गले मिल लो, फोटो खींच लो, पार्क में घूम लो. दूसरा उसको कहा जाता है कि अडानी को ठोका दे दो. कुछ नेता आकर कहते हैं कि मोदी जी तो दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता है. मोदी जी की लोकप्रियता से उसको क्या लेना-देना है. ये जो गोरे हैं ये बहुत चतुर-चालाक लोग हैं. ये इतने भोले-भाले नहीं है कि यहां पर आए और कह गए कि मोदी जी बहुत लोकप्रिय नेता है. वे जाने किस-किस चीज पर साइन कराकर ले जाते हैं. पता ही नहीं चलता कि बदले में किस चीज पर साइन करा कर ले जाते हैं. हमारे देश में 17वीं-18वीं सदी के अंदर यही हुआ था. ईस्ट इंडिया कंपनी वाले आते थे. उस समय के हमारे राजे-महाराजे भी ऐसे कम पढ़े लिखे होते थे. उनको कोई अकल नहीं होती थी, ये लोग उनके दरबार में आते थे, उनकी खूब तारीफ करते थे और पता नहीं किस-किस चीज पर साइन कराकर ले जाते थे. 100 साल के अंदर अंग्रेजों ने पूरे देश पर कब्जा कर लिया. अब वही हाल हमारे देश का हो रहा है कि हमारे कम पढ़े-लिखे प्रधानमंत्री हैं, पैसे की हवस है. जो भी आता है दो लाइन उनके बारे में बोल देता है, गले मिलता है, पार्क में घूमता है, अडानी को कंपनियों का ठेका दे दे, इसके बदले में पता नहीं इन लोगों ने देश का क्या-क्या बेच दिया. जिस दौर से देश गुजर रहा है, हम लोगों को देश की बहुत चिंता है. मुझे लगता है कि आजादी के बाद से सबसे भ्रष्ट प्रधानमंत्री अगर कोई हुए हैं जिन्होंने देश को इतना लूटा है, तो वो आज मौजूदा प्रधानमंत्री है. उसके ऊपर कम पढ़े-लिखे हैं, उन्हें कुछ पता नहीं है, कोई कुछ भी उनसे साइन कराकर ले जाता है. किसी को कुछ भी पता नहीं चलता. मैं संजीव झा के प्रस्ताव का समर्थन करता हूं.

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