शुक्रवार, 9 सितंबर 2022
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शुक्रवार को गाजीपुर पहुंचे। पीजी कॉलेज के संस्थापक राजेश्वर सिंह की प्रतिमा का अनावरण करने के बाद जनसभा को संबोधित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि गाजीपुर में शिक्षा की अलख जगाने वाले बाबू राजेश्वर सिंह की प्रतिमा का अनावरण कर अभिभूत हूं। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश को विकसित बनाना है तो अपनी विरासत का सम्मान करना पड़ेगा। प्रधानमंत्री ने जब गाजीपुर को मेडिकल कॉलेज दिया तो हमने अतीत का सम्मान करते हुए महर्षि विश्वामित्र के नाम पर नामकरण किया।उन्होंने आगे कहा कि ऐसे ही आजमगढ़ में विश्वविद्यालय बनाया गया तो महाराजा सुहेलदेव के नाम पर रखा गया। क्योंकि एक हजार साल पहले उन्होंने विदेशी आक्रांताओं से देश की रक्षा करने का काम किया था। यही तो है विरासत के प्रति सम्मान प्रकट करने का तरीका।
सीएम योगी ने कहा कि बीच के काल में यहां की पहचान को धूमिल करने का प्रयास हुआ। गाजीपुर और आजमगढ़ में तमाम क्षमताएं थीं। एक बहुत बड़ी विरासत हमारे पास थी। लोगों के सामने पहचान का संकट खड़ा हो गया। लेकिन बाबू राजेश्वर प्रसाद सिंह ने शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति की। मिशन मोड में काम किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजेश्वर सिंह ने आजादी के पूर्व जन्म लिया। इलाहाबाद विवि से स्नातक और लॉ की डिग्री लेने के बाद यहां प्रैक्टिस की। जब देश आजादी के प्रथम समर का शताब्दी समारोह आयोजित कर रहा था तो 1957 में गाजीपुर डिग्री कॉलेज की स्थापना की। वह आज पीजी कॉलेज के रूप में 10 हजार छात्र-छात्राओं की शिक्षा का केंद्र बना है।
उन्होंने कहा कि बाबू राजेश्वर प्रसाद सिंह से हमलोगों के आत्मीय संबंध थे। संयोग ही है कि महाविद्यालय पहले गोरखपुर विश्वविद्याल से संबंद्ध था। जब 1957-58 में गोरखपुर विवि की स्थापना हो रही थी तो गोरक्षपीठ ने अपने दो महाविद्यालय देकर विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। गोरखपुर विवि और गोरक्षपीठ के साथ बाबू राजेश्वर सिंह के जुड़ाव का जो क्रम चला, उन्होंने आजीवन उसका निर्वहन किया। सीएम योगी ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने अभिनव कार्य किए। आज उनकी प्रतिमा का अनावरण करना विरासत के प्रति सच्चा सम्मान है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को प्रेरित किया है। जीवन और जीविका के साथ देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की है। यह महाविद्यालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति की अभिनव प्रयोग की भूमि बन सकती है। जिसमें सैद्धांतिक के साथ तकनीकी ज्ञान से सक्षम युवा देश और दुनिया में पहुंचेंगे। सौभाग्य से भारत दुनिया का सबसे युवा राष्ट्र है। जब भारत की बात होती है तो उत्तर प्रदेश सबसे युवा है। यहां 56 फीसदी कामकाजी लोग हैं।
कहा कि युवाओं को विभिन्न योजानाओं के जरिए लाभान्वित किया जा रहा है। अभ्युदय योजना के जरिए अधिकारी तैयार किया जा रहा है। जनपद और कमिश्नरेट पर अभ्युदय कोचिंग की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। ऐसे ही स्वामी विवेकानंद सक्षम योजना के तहत 15 लाख नौजवानों को टैबलेट और स्मार्टफोन वितरित किया गया।
आगामी पांच वर्षों में दो करोड़ युवाओं को टैबलेट और स्मार्टफोन दिया जाएगा। विगत पांच वर्षों में पांच लाख नौजवानों को सरकारी नौकरी दी गई। एक करोड़ 59 लाख लोगों को विनिवेश और परंपरागत प्रोत्साहन के माध्यम समेत अन्य योजनाओं के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराया गया। 59 लाख उद्यमियों को स्वतः रोजगार से जोड़ा गया।
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