गुरुवार, 8 सितंबर 2022
जम्मू विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग में कार्यरत एसोसिएट प्रोफेसर चंद्रशेखर ने आत्महत्या कर ली। मृतक चंद्रशेखर की पत्नी खुद मनोविज्ञान में पीएचडी हैं। शाम करीब पांच बजे डॉ. नीता को जम्मू विवि से फोन आया कि उनके पति ने खुदकुशी कर ली है। वह अपनी दो साल की बेटी और 12 साल के बेटे को बिना बताए ओल्ड कैंपस जम्मू यूनिवर्सिटी स्थित सरकारी आवास से अस्पताल पहुंची।
शाम सात बजे उनके दोनों बच्चों को पड़ोस में रहने वाली महिलाएं लेकर पहुंचीं। यहां नीता ने अपने बेटे को बताया कि योर पापा इज नो मोर, इस पर बेटे को पहले कुछ समझ नहीं आया। थोड़ी देर बाद उसने पूछा कि कैसे, इस पर नीता ने कहा कि सुसाइड कर लिया। इस पर बेटा बिलख-बिलख कर रोने लगा और कहने लगा कि ऐसे थोड़ी होता है, वह यह कहते हुए बिलखने लगा।एसोसिएट प्रोफेसर चंद्रशेखर के बेटे की जुबान पर कई सवाल हैं। पापा कैसे मर गए? क्यों मर गए? किसलिए खुदकुुशी की? यह सवाल उसने अपनी मां से पूछे। इन सब सवालों के बीच जब उसने यह सुना कि उनके विभाग के लोग तंग करते थे, तो बेटे की जुबान पर विभाग के लिए गुस्सा था। उसने कहा कि विभाग के लोग कमीने हैं। इस पर कुछ मौके पर मौजूद विवि के लोगों ने कहा कि इस पर कार्रवाई होगी। तो बेटे ने कहा कि ऐसा होने से उसके पापा वापस नहीं आएंगे।
एसोसिएट प्रोफेसर चंद्रशेखर की पत्नी डॉ. नीता ने बताया कि तीन दिन पहले ही उनके पति मेरठ से वापस आए थे। बुधवार सुबह रोज की तरह घर से गए थे। वह बता रहे थे कि उनका प्रमोशन होने वाला है और वह मनोविज्ञान के एचओडी बनने वाले हैं। वह अब प्रोफेसर बनकर एचओडी बनने वाले हैं, लेकिन विभाग के लोग इससे खुश नहीं है। उन्हें तंग किया जाता है।
नीता ने कहा कि यदि उनको पत्र देने वाले कर्मी को पता चल गया कि उन्होंने कमरा बंद कर लिया है, तो कम से कम उनको जानकारी देते। वह किसी भी तरह तत्काल वहां पहुंचकर पति को बचा लेती, लेकिन किसी ने इसकी जानकारी नहीं दी। सवाल करते हुए कहा कि विभाग को उनसे इतनी नफरत क्यों थी? विवाद तो होते रहते हैं, लेकिन विभाग ने इतना तंग किया कि वह जान देने पर मजबूर हो गए। किसी को इतना तंग नहीं करना चाहिए। उन्हें खुदकुुशी करने पर मजबूर किया गया है, जिसकी जांच होनी चाहिए।डॉ. नीता का कहना है कि यदि उनके खिलाफ जांच हो रही थी। उन पर किसी तरह के आरोप लगे तो कम से कम उनका पक्ष भी सुनना चाहिए था। उनसे पूछे बिना और बात सुने बिना निलंबित करने का आदेश थमा दिया, यह कहां का इंसाफ है। उनके पति इतने कमजोर नहीं थे कि ऐसा करते।
डॉ. नीता मौके पर मौजूद लोगों से बिलखते हुए बात कर रही थीं और कह रही थीं कि काश एक बार पति ने उनसे बात की होती कि ऐसा करने जा रहे हैं, तो उनको रोक लेती।इस मामले में मनोविज्ञान विभाग की एचओडी आरती बख्शी ने बात करने की बजाय फोन नहीं उठाया। यहां तक कि इनसे बात करने का संदेश भी भेजा, लेकिन कोई जवाब नहीं दिया गया।
एक टिप्पणी भेजें