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शुक्रवार, 16 सितंबर 2022

मेरठ:चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मुकेश कुमार ने एक डिवाइस बनाया,जो ट्रैफिक को कंट्रोल करेगा

चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मुकेश कुमार ने एक डिवाइस बनाया है। जो ट्रैफिक को कंट्रोल करेगा। यात्रा में कम समय लगेगा। तमाम तरह की परेशानियां भी दूर हो जाएंगी। सड़क पर गड्‌ढा होने पर कार चालक को पहले ही पता चल जाएगा। रेड लाइट पर भी ट्रैफिक अधिक होने पर समय से पहले ग्रीन हो जाएगी।मुकेश कुमार मेरठ यूनिवर्सिटी में मैथ के प्रोफेसर हैं। उन्होंने अपने रिसर्चर नीतेश धीमान के साथ टाइप-2 न्यूरो फजी डिवाइस बनाया है। यातायात प्रबंधन की ओर से इस तकनीक को पेटेंट मिल चुका है। जल्द ही इसे पब्लिक डोमेन में लाया जाएगा। प्रो. मुकेश कुमार शर्मा के ने बताया, "हमने जो टाइप 2 न्यूरो फजी सिस्टम मैथड्स एंड तकनीक पर यह सिस्टम बनाया है। वह पुराने फजी सेट्स को टाइप-2 में बदला है। पुराने फजी सेट्स को एक्सटेंशन करके टाइप 2 बनाया है। टाइप 2 फजी सिस्टम में न्यूरो नेटवर्क का यूज करके ट्रांसपोर्टेशन प्रॉब्लम को दूर करने के लिए नई तकनीक इजाद की है। अभी तक यातायात नियंत्रण के लिए जो भी तकनीक इस्तेमाल हो रही हैं, वो परेशानियों को कम करने के लिए हुआ है। उन परेशानियों को खत्म करना जरूरी है। न्यूरो फजी सिस्टम मैथ उन परेशानियों को खत्म करने में मदद करेगा। इसमें चालकों का स्वास्थ्य, संसाधन और माहौल 3 फैक्टर पर काम किया है।सीसीएसयू के मैथ डिर्पाटमेंट के इस ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम मॉड्यूल को पेटेंट मिल चुका है। अब जल्द इसे पब्लिक डोमेन में लाकर जनता की परेशानियों को दूर करने का काम किया जाएगा। प्रो. मुकेश के अनुसार जनता को एक जगह से दूसरी जगह वाहन से जाने में जो समय और खर्चा लगता है हमारा उद्देश्य उस समय और खर्च को कम करना है। सीसीएसयू की ओर से यातायात की परेशानियों को दूर करने के लिए इस तकनीक को बनाया गया है। इसका उद्देश्य ट्रेवलिंग को स्मूथ बनाना है। कुछ दिन पब्लिक डोमेन में काम करने के बाद इस प्रोजेक्ट को ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री के सामने पेश किया जाएगा, जिससे मंत्रालय इस सिस्टम को सार्वजनिक रूप से लागू करे। फजी सिस्टम और सॉफ्ट लर्निंग सारी चीजें आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर काम करती हैं। अपनी तकनीक में कुछ डिवाइस इंवाल्व की है। . रेड लाइट मैनेजमेंट - यातायात में एक बड़ा टाइम रेड लाइट पर जाता है। हमारे रोड सिस्टम में रेड लाइट के लिए एक समय तय है। जिस लेन में रेड लाइट चालू है भले वहां कम ट्रैफिक हो, मगर समय पूरा लगता है। हमारी इस डिवाइस की मदद से जो लेन बंद है, उसमें ट्रैफिक ज्यादा है। दूसरी चालू लेन में ट्रैफिक कम है, तो खुद लालबत्ती समय से पहले बंद होकर यातायात चालू कर देगी। मतलब जिस लेन में ज्यादा भीड़ है, उसे जल्दी खोल दिया जाएगा। ये सब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर होता रहेगा। इससे रेडलाइट पर लगने वाला समय घटेगा। . हेल्थ अलार्म डिवाइस- ये ऐसी डिवाइस है, जो वाहन चालक के हेल्थ से जुड़ी रहेगी। इसे स्टेयरिंग पर लगाया जाएगा। यह डिवाइस आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर काम करेगी। इसमें वाहन चालक के सेहत, वजन, हाइट, हेल्थ हिस्ट्री की सारी डिटेल रहेगी। चालक के खाने, पीने की आदत और जरूरत को भी इस डिवाइस में अपडेट किया जाएगा। मतलब चालक की फुल बॉडी डिटेल इस डिवाइस में अपडेट की जाएगी। साथ ही चालक को कितनी दूर सफर करना है, किस वाहन से करना है यह भी जोड़ा जाएगा। इसकी मदद से यह डिवाइस चालक को बताती रहेगी कि उसे सफर में कब सोना है, खाना है या दवा लेना है। यह डिवाइस चालक को अलार्म करती रहेगी। जब चालक की सेहत ठीक होगी तो वो अच्छे से ड्राइव करेगा और यातायात सुगम होगा। . रोड हेल्थ डिवाइस- इस डिवाइस को भी व्हीकल में अंदर लगाया जाएगा। जो कैमरा और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस दोनों सिस्टम से कनेक्ट होगी। जीपीएस पर काम करेगी। यातायात में एक बड़ी दिक्कत खराब सड़कें, गड्‌डे हैं। इस डिवाइस की मदद से एक किमी की दूरी पर आगे सड़क कैसी है इसकी जानकारी मिलेगी। उस रास्ते के नजदीक आते ही डिवाइस अलार्म करेगी कि आगे सड़क खराब है। साथ ही उसकी सब्सटीट्यूट रास्ता बताएगी। आगे पैरलल रास्ता क्या हो सकता है। इससे चालक का समय बचेगा और आसानी से वो अपने लक्ष्य तक जा सकेगा। डिवाइस मैप और लोकेशन के साथ अलार्म पर काम करेगी।

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