- जन्मकुंडली कुछ अशुभ योग और विशेष उपाय:पंडित संजय शास्त्री | सच्चाईयाँ न्यूज़

शुक्रवार, 16 सितंबर 2022

जन्मकुंडली कुछ अशुभ योग और विशेष उपाय:पंडित संजय शास्त्री

 जन्म कुंडली में 2 या उससे ज्यादा ग्रहों की युति, दृष्टि, भाव आदि के मेल से योग का निर्माण होता है ग्रहों के योगों को ज्योतिष फलादेश का आधार माना गया है अशुभ योग के कारण व्यक्ति को जिंदगीभर दु:ख झेलना पड़ता है.


 *चांडाल योग* 

कुंडली के किसी भी भाव में बृहस्पति के साथ राहु या केतु का होना या दृष्टि आदि होना चांडाल योग बनाता है इस योग का बुरा असर शिक्षा, धन और चरित्र पर होता है जातक बड़े-बुजुर्गों का निरादर करता है और उसे पेट एवं श्वास के रोग हो सकते हैं इस योग के निवारण हेतु उत्तम चरित्र रखकर पीली वस्तुओं का दान करें माथे पर केसर, हल्दी या चंदन का तिलक लगाएं संभव हो तो एक समय ही भोजन करें और भोजन में बेसन का उपयोग करें अन्यथा प्रति गुरुवार को कठिन व्रत रखें.


 *अल्पायु योग* 

जब जातक की कुंडली में चन्द्र ग्रह पाप ग्रहों से युक्त होकर त्रिक स्थानों में बैठा हो या लग्नेश पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो और वह शक्तिहीन हो तो अल्पायु योग का निर्माण होता है अल्पायु योग में जातक के जीवन पर हमेशा हमेशा संकट मंडराता रहता है, ऐसे में खानपान और व्यवहार में सावधानी रखनी चाहिए अल्पायु योग के निदान के लिए प्रतिदिन हनुमान चालीसा, महामृत्युंजय मंत्र पढ़ना चाहिए और जातक को हर तरह के बुरे कार्यों से दूर रहना चाहिए.


 *ग्रहण योग* 

ग्रहण योग मुख्यत: 2 प्रकार के होते हैं- सूर्य और चन्द्र ग्रहण यदि चन्द्रमा पाप ग्रह राहु या केतु के साथ बैठे हों तो चन्द्रग्रहण और सूर्य के साथ राहु हो तो सूर्यग्रहण होता है चन्द्रग्रहण से मानसिक पीड़ा और माता को हानि पहुंचती है सूर्यग्रहण से व्यक्ति कभी भी जीवन में स्टेबल नहीं हो पाता है, हड्डियां कमजोर हो जाती है, पिता से सुख भी नहीं मिलता ऐसी स्थिति में 6 नारियल अपने सिर पर से वार कर जल में प्रवाहित करें आदित्यहृदय स्तोत्र का नियमित पाठ करें। सूर्य को जल चढ़ाएं एकादशी और रविवार का व्रत रखें दाढ़ी और चोटी न रखें.


 *वैधव्य योग* 

वैधव्य योग बनने की कई स्थितियां हैं वैधव्य योग का अर्थ है विधवा हो जाना। सप्तम भाव का स्वामी मंगल होने व शनि की तृतीय, सप्तम या दशम दृष्टि पड़ने से भी वैधव्य योग बनता है। सप्तमेश का संबंध शनि, मंगल से बनता हो व सप्तमेश निर्बल हो तो वैधव्य का योग बनता है। जातिका को विवाह के 5 साल तक मंगला गौरी का पूजन करना चाहिए, विवाह पूर्व कुंभ विवाह करना चाहिए और यदि विवाह होने के बाद इस योग का पता चलता है तो दोनों को मंगल और शनि के उपाय करना चाहिए.


 *दारिद्रय योग* 

यदि किसी जन्म कुंडली में 11वें घर का स्वामी ग्रह कुंडली के 6, 8 अथवा 12वें घर में स्थित हो जाए तो ऐसी कुंडली में दारिद्रय योग बन जाता है दारिद्रय योग के प्रबल प्रभाव में आने वाले जातकों की आर्थिक स्थिति जीवनभर खराब ही रहती है तथा ऐसे जातकों को अपने जीवन में अनेक बार आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है.


 *षड्यंत्र योग* 

यदि लग्नेश 8वें घर में बैठा हो और उसके साथ कोई शुभ ग्रह न हो तो षड्यंत्र योग का निर्माण होता है जिस स्त्री-पुरुष की कुंडली में यह योग होता है वह अपने किसी करीबी के षड्यंत्र का शिकार होता है इससे उसे धन-संपत्ति व मान-सम्मान आदि का नुकसान उठाना पड़ सकता है इस दोष को शांत करने के लिए प्रत्येक सोमवार भगवान शिव और शिव परिवार की पूजा करनी चाहिए प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करते रहना चाहिए.


 *कुज योग* 

यदि किसी कुंडली में मंगल लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में हो तो कुज योग बनता है इसे मांगलिक दोष भी कहते हैं जिस स्त्री या पुरुष की कुंडली में कुज दोष हो, उनका वैवाहिक जीवन कष्टप्रद रहता है इसीलिए विवाह से पूर्व भावी वर-वधू की कुंडली मिलाना आवश्यक है यदि दोनों की कुंडली में मांगलिक दोष है तो ही विवाह किया जाना चाहिए विवाह होने के बाद इस योग का पता चला है तो पीपल और वटवृक्ष में नियमित जल अर्पित करें मंगल के जाप या पूजा करवाएं प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें.

*पं.संजय शास्त्री----- 8790466194----------* 

                             *9860298094* . *केमद्रुम योग* 

यदि किसी कुंडली में चन्द्रमा के अगले और पिछले दोनों ही घरों में कोई ग्रह न हो तो या कुंडली में जब चन्द्रमा द्वितीय या द्वादश भाव में हो और चन्द्र के आगे और पीछे के भावों में कोई अपयश ग्रह न हो तो केमद्रुम योग का निर्माण होता है इस योग के चलते जातक जीवनभर धन की कमी, रोग, संकट, वैवाहिक जीवन में भीषण कठिनाई आदि समस्याओं से जूझता रहता है इस योग के निदान हेतु प्रति शुक्रवार को लाल गुलाब के पुष्प से गणेश और महालक्ष्मी का पूजन करें मिश्री का भोग लगाएं चन्द्र से संबंधित वस्तुओं का दान करें.


 *अंगारक योग* 

यदि किसी कुंडली में मंगल का राहु या केतु में से किसी के साथ स्थान अथवा दृष्टि से संबंध स्थापित हो जाए तो अंगारक योग का निर्माण हो जाता है इस योग के कारण जातक का स्वभाव आक्रामक, हिंसक तथा नकारात्मक हो जाता है तथा ऐसा जातक अपने भाई, मित्रों तथा अन्य रिश्तेदारों के साथ कभी भी अच्छे संबंध नहीं रखता उसका कोई कार्य शांतिपूर्वक नहीं निपटता इसके निदान हेतु प्रतिदिन हनुमानजी की उपासना करें मंगलवार के दिन लाल गाय को गुड़ और प्रतिदिन पक्षियों को गेहूं या दाना आदि डालें अंगारक दोष निवारण यंत्री भी स्थापित कर सकते हैं.


 *विष योग* 

शनि और चंद्र की युति या शनि की चंद्र पर दृष्टि से विष योग बनता है कर्क राशि में शनि पुष्य नक्षत्र में हो और चंद्रमा मकर राशि में श्रवण नक्षत्र में हो अथवा चन्द्र और शनि विपरीत स्थिति में हों और दोनों अपने-अपने स्थान से एक दूसरे को देख रहे हों तो तब भी विष योग बनता है यदि 8वें स्थान पर राहु मौजूद हो और शनि मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक लग्न में हो तो भी यह योग बनता है इस योग से जातक को जिंदगीभर कई प्रकार की विष के समान कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है पूर्ण विष योग माता को भी पीड़ित करता है इस योग के निदान हेतु संकटमोचक हनुमानजी की उपासना करें और प्रति शनिवार को छाया दान करते रहें सोमवार को शिव की आराधना करें या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें..



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