- गो संरक्षण केंद्र में 63 गायों के मौत के मामले सहारनपुर जिले के चिकित्साधिकारियों का इस्तीफा मंजूर होने पर खलबली मची | सच्चाईयाँ न्यूज़

गुरुवार, 15 सितंबर 2022

गो संरक्षण केंद्र में 63 गायों के मौत के मामले सहारनपुर जिले के चिकित्साधिकारियों का इस्तीफा मंजूर होने पर खलबली मची

जनपद अमरोहा के गो संरक्षण केंद्र में 63 गायों के मौत के मामले सहारनपुर जिले के चिकित्साधिकारियों का इस्तीफा मंजूर होने पर खलबली मची है।उप्र पशु चिकित्सा संघ के जिला संगठन का दावा है कि अभी इस्तीफा भेजा ही नहीं गया था। सामूहिक त्याग पत्र सोशल मीडिया पर वायरल होने पर ही सांकेतिक इस्तीफा कैसे मंजूर कर लिया गया। आरोप लगाया कि शासन एकतरफा कार्रवाई कर रहा है, जिसका विरोध किया जाएगा। दरअसल, अमरोहा में गो-संरक्षण केंद्र में गायों की मौत होने पर पशु चिकित्साधिकारी को निलंबित कर दिया गया था। इसी के विरोध में उत्तर प्रदेश पशु चिकित्सा संघ ने नाराजगी जताई। सहारनपुर के पशु चिकित्सकों ने सामूहिक सांकेतिक त्यागपत्र निदेशक प्रशासन एवं विकास पशुपालन विभाग लखनऊ के नाम तैयार किया, जिस पर उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी तहसील सदर डॉ. प्रमोद कुमार, पशुधन विकास अधिकारी डॉ. सुनील दत्त, पशु चिकित्साधिकारी स्वास्थ्य डॉ. मुकेश गुप्ता, डॉ. संजय चतुर्वेदी, डॉ. नागेंद्र और अखिलेश गुप्ता का नाम लिखा हुआ था, जिसमें लिखा गया कि अमरोहा के निर्दोष पशु चिकित्साधिकारी के निलंबन से सभी पशु चिकित्सक स्वयं को शोषित एवं निराश्रित महसूस कर रहे हैं। गायों की जान बचाने के लिए दिन-रात काम करने वाले पशु चिकित्साधिकारी को निलंबित करना अन्यायपूर्ण है। इस्तीफे पर जिन पशु चिकित्सकों के नाम लिखे थे, उनके त्यागपत्र को मंगलवार की देर शाम शासन ने मंजूर कर लिया।उधर, इसका पता लगते ही विभाग में खलबली मच गई। उप्र पशु चिकित्सा संघ के जिलाध्यक्ष डॉ. प्रमोद कुमार का कहना है कि संगठन द्वारा सामूहिक इस्तीफा तैयार किया गया था, लेकिन शासन को भेजा नहीं गया है और न ही जिलाधिकारी न ही मुख्य पशु चिकित्साधिकारी को दिया गया है। विभाग के बनाए गए व्हाट्सएप ग्रुप पर इसे डाला गया था। अमरोहा की घटना के विरोध में जनपद और प्रदेश स्तर पर संगठन के पदाधिकारियों के बीच ही मंथन चल रहा था, लेकिन इस्तीफे की कॉपी सोशल मीडिया पर वायरल हो गई और शासन ने एकतरफा कार्रवाई करते हुए छह डॉक्टरों का इस्तीफा मंजूर कर लिया, जबकि किसी चिकित्सक ने अभी त्यागपत्र भेजा ही नहीं है। यह गलत है और इसके विरोध में पशु चिकित्साधिकारी आगे की रणनीति तैयार करने में जुटे हैं। अमरोहा की घटना पर जनपद के पशु चिकित्साधिकारियों का शासन पर दबाव बनाना भारी पड़ गया है। उन्होंने शासन को अमरोहा के पशु चिकित्साधिकारी का निलंबन वापस लेने के लिए आंदोलन की रणनीति तैयार की, जिसको लेकर संगठन स्तर पर चर्चा चल रही थी, लेकिन इसी बीच जब पता लगा कि शासन ने सांकेतिक इस्तीफे को मंजूर कर लिया है, तो विभाग में हड़कंप मच गया है। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. राजीव सक्सेना का कहना है कि डॉक्टरों ने उन्हें कोई ऐसा पत्र नहीं दिया था। अब सांकेतिक इस्तीफा मंजूर होने की सिर्फ जानकारी मिली है। उनके पास इस संबंध में शासन का कोई आदेश नहीं आया है।

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