बुधवार, 9 फ़रवरी 2022
उत्तर प्रदेश के चुनावी मौसम में पुराने कैलेंडर भी पलटा जाना स्वाभाविक है। नई सरकार तय करने के लिए पांच साल पहले की तारीखें याद की जा रही हैं। इनमें वे तारीखें भी शामिल हैं, जिनमें महिलाओं के लिए कुछ सुकून भरे फैसले हुए और उन पर उतनी ही सख्ती से अमल भी हुआ। पहले स्कूल या बाजार जाने से घबराने वाली छात्राएं अब बेफिक्र होकर घर से निकलती हैं। छात्राएं तो कहती हैं कि पांच साल में कानून व्यवस्था में काफी सुधार हुआ है। अब बस, ये आलम कायम रहना चाहिए।अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) की छात्राएं महिला सुरक्षा को अपना हक बता रही हैं। उनका कहना है कि जब तक सुरक्षा का अहसास न हो तब तक तरक्की कैसे संभव है? सुरक्षा के लिए सख्ती ने अच्छी शिक्षा, करियर की राह दिखाई है। एएमयू में एमबीए की छात्रा सबा कमर तो कानून व्यवस्था के बदलाव पर बड़े स्तर पर हैरानी जताती हैं। बोलीं, माहौल पहले से काफी बेहतर है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस तरह कानून पर सख्ती की है वो भी कारण हो सकता है। पहले घर से निकलने में डर लगता था। अब घर से बाहर निकलने में डर नहीं लगता। चेन स्नेचिंग की घटनाओं में तो कमी आई है।
अलीगढ़ शहर में सूतमील पर रहने वालीं एएमयू में एलएलएम द्वितीय वर्ष की छात्रा प्रीति चौधरी कहती हैं कि पांच साल में अपराध में कमी आई है। हालांकि इसका बड़ा कारण निर्भया प्रकरण के बाद बना कानून भी है। रेलवे रोड निवासी एमबीए (ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट) की छात्रा तृष्णा अग्रवाल का कहना था कि पांच साल में काफी माहौल बदला है। बस ये माहौल बना रहे।एसवी डिग्री कालेज की छात्रा अंजली गौड़ का कहना है कि पहले से काफी सुरक्षित माहौल मिला है लड़कियों को। मुख्य बात है कि कालेज जाने और वापस आने के दौरान अब सड़क पर वो भय का माहौल नहीं मिलता जो पहले हुआ करता था। टीआर कालेज की छात्रा प्रशिता शर्मा ने कहा कि कई वर्षों बाद कालेज आने-जाने को लेकर अभिभावक भी निश्चिंत हुए हैं।
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