- शेर ने की थी कड़ी तपस्या, खुश होकर मां पार्वती ने दिया वरदान - दर्शन मात्र से पूरे होते हैं काम | सच्चाईयाँ न्यूज़

शुक्रवार, 11 अगस्त 2023

शेर ने की थी कड़ी तपस्या, खुश होकर मां पार्वती ने दिया वरदान - दर्शन मात्र से पूरे होते हैं काम

धार्मिक नगरी उज्जैन के 84 महादेवों में श्री सिंहेश्वर महादेव को 54 वां स्थान हासिल है. कहा जाता है अगर किसी से जाने अनजाने कोई बड़ा पाप हो गया है तो यहां आकर बाबा का दर्शन, पूजन करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है. सिंहेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी पं. गौरव संचोरा का कहना है गढ़कालिका माता मंदिर ओखलेश्वर श्मशान घाट जाने वाले मार्ग पर भगवान श्री सिंहेश्वर महादेव का अति प्राचीन मंदिर है. पुजारी का कहना है मंदिर में भगवान शंकर शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं. यह प्रतिमा काले पाषाण की होने के साथ ही पीतल की जलाधारी में भी विद्यमान है. मंदिर में शिव परिवार के साथ ही द्वार पर महादेव के अतिप्रिय नंदी और सर्प देवता का स्थान भी है. अधिकमास में पूजा-पाठ का है महत्व: पं. गौरव संचोरा ने बताया कि वैसे तो साल भर इस मंदिर में भगवान का विशेष पूजन, अर्चन और अभिषेक किया जाता है लेकिन सावन और अधिकमास में यहां पूजा-पाठ का अपना विशेष महत्व है. इन महीनों में भगवान के अभिषेक और पूजन से श्रद्धालुओं को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. इस मंदिर में 5 ब्राह्मणों द्वारा रोजाना भस्म, भांग, औषधि, पंचामृत रुद्राभिषेक के साथ ही भगवान का विशेष श्रृंगार किया जाता है. मंदिर के पुजारी के मुताबिक वैसे तो मंदिर को लेकर कई मान्यताएं हैं लेकिन यदि प्रदोष पर व्रत रखकर भगवान श्री सिंहेश्वर महादेव को गेहूं अर्पित किए जाते हैं तो संतान की प्राप्ति होती है. श्री सिंहेश्वर महादेव की पौराणिक कथा: श्री सिंहेश्वर महादेव मंदिर से जुड़ी प्राचीन कथा काफी प्रचलित है. इसका उल्लेख स्कंद पुराण के अवंती खंड में है. कथा के मुताबिक एक समय माता पार्वती ने गौर वर्ण के लिए कड़ी तपस्या की थी. तपस्या के तेज से तीनों लोक में हाहाकार मच गया. देवता ब्रह्मा जी के पास गये. समस्या के निदान के लिए ब्रह्मा जी वहां पहुंचे जहां माता पार्वती तप कर रही थीं. ब्रह्मा जी ने माता पार्वती से तप का उद्देश्य पूछा. उन्होंने कहा-भगवान शिव मुझे काली कहकर बुलाते हैं, मुझे भी गौर वर्ण चाहिए. ब्रह्मा जी ने कहा-तुम्हारी इच्छा जल्द पूरी होगी. लेकिन मां पार्वती यह बात सुनकर और क्रोधित हो गईं, जिसके कारण एक सिंह यानी शेर उत्पन्न हुआ. सिंह भूखा था इसलिए उसने मां पार्वती पर ही हमला कर दिया. लेकिन पार्वती का तेज इतना अधिक था कि यह सिंह हिंसक नहीं हो सका.इसके बाद सिंह अपराध का बोध से ग्रस्त हो गया. वह प्रायश्चित करना चाहता था. पार्वती ने उसे तुरंत महाकाल वन में गढ़कालिका माता मंदिर के पीछे शिवलिंग का पूजन अर्चन करने को कहा. सिंह ने कठोर तपस्या की. कई सालों के बाद माता पार्वती यहां पहुंचीं. उन्होंने जब सिंह के साथ शिवलिंग के दर्शन किए तो यहां के शिवलिंग का नाम सिंहेश्वर महादेव रख दिया. सालों बाद इसी वजह से यह स्थान सिंहेश्वर महादेव ना्म से प्रसिद्ध हो गया और माता पार्वती को गौर वर्ण भी प्राप्त हो गया.

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